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जयपुर। जंगल में बकरा-बकरी चराने वाले चरवाहे से 16 साल पहले 7 जुलाई, 2001 को 2000 रुपए की रिश्वत लेने के मामले में एसीबी मामलों की विश्ोष अदालत क्रम-1 में जज बलजीत सिंह ने अभियुक्त तत्कालीन फोरेस्ट गार्ड लक्ष्मण सिंह निवासी व्यास कॉलोनी, नाहरी का नाका, जयपुर एवं केटल गार्ड लक्ष्मी नारायण निवासी अचरोल-चंदवाजी को 1-1 साल की जेल एवं 10-10 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई।

इस मामले में रुपयों के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार हुए केटल गार्ड गोपी राम को कोर्ट ने आपराधिक षड्यंत्र में शामिल नहीं मानते हुए बरी कर दिया। इस संबंध में मंजीपुरा गांव निवासी गाोपाललाल गुर्जर ने 6 जुलाई, 2001 को शिकायत दी थी कि वह अपने 60 बकरा-बकरी चराने के लिए राजपुरा गांव के आस-पास जाता है। गार्ड लक्ष्मण सिंह मना कर प्रतिमाह 5 हजार रुपए मांगता है। सत्यापन में 900 रुपए ले लिए और श्ोष 4100 रुपए लक्ष्मीनारायण से मिल कर देने को कहा। लक्ष्मीनारायण से बात की तो उसने राशि 4100 रुपए लेकर 7 जुलाई को ऑफिस बुलाया। ट्रेप कराने के लिए परिवादी 2 हजार रुपए की ही व्यवस्था कर पाया। 7 जुलाई को लक्ष्मीनारायण ने 2 हजार रुपए लेकर गोपीराम को दिलवा दिए। एसीबी ने रुपए गोपीराम की जेब से बरामद किया था। राशि लक्ष्मण सिंह के लिए लेना बताया। लक्ष्मण ने आवाज का नमूना देने से इंकार कर दिया था। 10 जून, 2003 को चालान पेश किया। बाद ट्रायल कोर्ट ने पीसी एक्ट की धारा 7 व धारा 13/1/डी में दोषी मानते हुए 1-1 वर्ष की सश्रम जेल व कुल 10-10 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई।

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