जयपुर। 6 दिन पूर्व हुई तेज बरसात के बीच करतारपुरा नाले में कार सहित बहे बरकत नगर निवासी आयुष गर्ग का बुधवार को कोई पता नहीं चला। ऐसे में परिजनों का प्रशासन से विश्वास उठ गया है। जिससे अब परिवार के लोग आयुष की तलाश में तांत्रिक और पंडितों का सहारा लेने को मजबूर हैं। बुधवार को करतारपुरा नाले के समीप आए पंडित ने पक्के नाले से ठीक आगे पानी में आयुष की तलाश करने की बात बचाव दल को कही। यहां पहले तो बचाव कार्यों में जुटी टीम के सदस्यों ने गंदे नाले में उतरने से साफ इंकार कर दिया। बाद में लोगों ने मानव्वौल की तो वह गंदे पानी में उतरा। जहां करीब आधा घंटे मशक्कत करने के उपरांत भी आशा की कोई किरण नजर नहीं आई और वह खाली हाथ ही लौट गया। हालांकि प्रशासन ने आयुष की तलाश में पूरा अमला लगा दिया, लेकिन 6वें दिन भी वह आयुष के मामले में कोई ठोस जानकारी नहीं दे सके।
150 लोग, 6 मशीनें
इधर आयुष की तलाश को लेकर एडीएम हरीसिंह मीणा के नेतृत्व में प्रशासन की पूरी टीम आज भी बचाव कार्यों में ही लगी रही। यहां एडीएम हरी सिंह मीणा सहित एक अन्य एडीएम, जयपुर एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, गिरदावर, 6 पटवारी, सिविल डिफेंस व एसडीआरएफ के 98 सदस्यों सहित स्थानीय लोग मौके पर जुटे रहे। वहीं जेडीए व नगर निगम से 4 जेसीबी व 6 पोकलेंड मशीन नाले में सफाई करने में लगी रही। नाले में उगी झाड़ियों, कचरे व कीचड़ को साफ करने के उपरांत भी आयुष के मामले में कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आ सकी।
6 दिन में फूंके लाखों रुपए
एक ओर जहां शहर के नालों में समय पर सफाई कार्य नहीं होने से नाले कचरे व गंदगी से अटे पड़े हैं। वहीं आयुष की तलाश को लेकर जिस गति से प्रशासन संसाधनों पर पानी की तरह पैसा बहा रहा है। उससे आधी गति से नालों में सफाई कार्य सहित उसके किनारों पर रैलिंग लगाने का काम कर दिया जाता तो आज आयुष नाले में बहता नहीं। एक जेसीबी का किराया प्रति घंटे 700 रुपए होता है। ऐसे में यहां जेसीबी 125 घंटे से अधिक काम कर चुकी है। इसी लिहाज से 4 जेसीबी मशीन का किराया ही 3.50 लाख रुपए से अधिक का बन गया। जबकि पोकलेंड मशीन का तो किराया तो इससे कहीं अधिक है। इसके साथ ही यहां मानव श्रम लगा सो अलग। इस लिहाज से यह राशि 20 लाख से अधिक बनती है। प्रशासन यदि समय रहते नालों में मरम्मत, सफाई कार्य और रैलिंग निर्माण को पूरा करा देता तो आज लोगों को राहत ही मिलती।

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