Rukmini Birla Hospital, Jaipur organized an awareness program for the patients and parents in the hospital premises in honor of World Stroke Day.
Rukmini Birla Hospital, Jaipur organized an awareness program for the patients and parents in the hospital premises in honor of World Stroke Day.

रूकमणी बिरला हाॅस्पिटल, जयपुर ने विश्व स्ट्रोक दिवस (29 अक्टूबर) के उपलक्ष्य में किया जागरूकता कार्यक्रम।कार्यक्रम में 200 से अधिक रोगियों, अभिभावकों ने हिस्सा लिया।
जयपुर। रूकमणी बिरला हाॅस्पिटल, जयपुर ने विश्व स्ट्रोक दिवस के उपलक्ष्य में अस्पताल परिसर में रोगी व अभिभावकों के लिए जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। न्यूरोसाइंसेज विभाग के निदेशक एवं विभागाध्यक्ष डाॅ. सुरेश गुप्ता एवं उनकी टीम के विशेषज्ञ डाॅ. कपिल खण्डेलवाल, न्यूरोलाॅजिस्ट, डाॅ. सुरेन्द्र खोस्या, न्यूरोलाॅजिस्ट, न्यूरो सर्जन डाॅ. अमित चक्रबर्ती एवं न्यूरो फिजियोथेरेपिस्ट अतुल जैन ने 200 से अधिक रोगियों व अभिभावको को सम्बोधित किया। न्यूरोसाइंसेज विभाग के निदेशक एवं विभागाध्यक्ष डाॅ. सुरेश गुप्ता ने सम्बोधित करते हुए बताया कि हमारे शरीर में मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं में किसी कारण से क्षति पहुंचती है या अवरोध होता है उससे मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में रक्त की आपूर्ति बन्द हो जाती है जिससे लकवा या पक्षाघात (स्ट्रोक) या ब्रेन अटैक होता है। डाॅ. सुरेश गुप्ता ने बताया कि स्ट्रोक के मुख्यतः 2 कारण होते  हैः एक अरक्कता स्ट्रोक (प्ेबीमउपब ैजतवाम) जो स्ट्रोक होने का सबसे आम कारण है। लगभग 80 से 85 प्रतिशत लोगों में पक्षाघात का यही कारण होता है। अरक्कता आघात (प्ेबीमउपब ैजतवाम) के बारे में विस्तृत से बताते हुए बताया कि इस प्रकार के पक्षाघात में मस्तिष्क की रक्त वाहिनी में खून के जम जाने के कारण या थक्के के कारण अवरोध हो जाता है।

जिन रोगियों में नुकसानदेह कोलेस्ट्रोल (एलडीएल) की मात्रा ज्यादा पाई जाती है उनकी रक्त वाहिनी में भीतरी स्तर पर वसा (चर्बी) जमा हो जाता है और इस जमे हुए वसा पर खून का थक्का जमा होने पर धीरे-धीरे पूरी रक्तवाहिनी में अवरोध हो जाता है और मस्तिष्क के उस हिस्से को रक्त न मिलने पर थ्रोम्बोटिक स्ट्रोक  हो जाता है। रक्त का थक्का, हवा का छोटा सा बुलबुला मस्तिष्क के किसी रक्तवाहिनी में फसने के कारण रक्तवाहिनी में अवरोध हो जाता है और मस्तिष्क के उस हिस्से को रक्त न मिलने पर एम्बोलिक स्ट्रोक हो सकता है। दूसरा मुख्य कारण है रक्तस्त्राव स्ट्रोक ( भ्मउवततींहम ) जिसमें मस्तिष्क के किसी रक्तवाहिनी में रक्तस्त्राव होने के कारण होने वाले पक्षाघात काफी गंभीर होते है। उच्च रक्तचाप रक्त वाहिनी की जन्मजात विकृति या रक्त वाहिनी में फुलाव के कारण मस्तिष्क में रक्तस्त्राव हो सकता है। एक तीसरे प्रकार का भी मस्तिष्क का अस्थाई पक्षाघात होता है जिसमें स्ट्रोक के लक्षण कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक ही रहता है, इसे ट्रांजियन्ट इस्कमिक स्ट्रोक (टीआईए) कहा जाता है। इसमें रोगी स्वतः ही ठीक भी हो जाते है। यह ब्रेन स्ट्रोक की चेतावनी है। ऐसे में तुरंत विशेषज्ञ से सम्पर्क करना चाहिए।

डाॅ. सुरेन्द्र खोस्या, न्यूरोलाॅजिस्ट ने बताया कि यदि शरीर के एक तरफ के चेहरे, हाथ या टांग यानी शरीर के आधे हिस्से में सुन्नपन या कमजोरी सा महसूस होना, अचानक लडखडाना, चक्कर आना, शरीर का संतुलन बिगडना, भ्रम की स्थिति, बोलने या समझने में परेशानी होना, धीरे या अस्पष्ट बोलना, एक या दोनों आंखों से देखने में कठिनाई, तेज सिरदर्द होना एवं जी मचलना या उल्टी हो तो ये मस्तिष्क के दौरे के लक्षण है, रोगी की तुरंत उपचार के लिए नजदीकी अस्पताल ले कर जायें। पहले 3 घंटे के समय में रोगी को उपचार प्राप्त होने पर मस्तिष्क के दौरे से होने वाली क्षति से बचाया जा सकता है। डाॅ. कपिल खण्डेलवाल, न्यूरोलाॅजिस्ट ने बताया कि उच्चरक्तचाप, डायबिटीज की समस्या, मोटापा, ज्यादा तनाव, हार्ट अटैक या जिनमें कोलेस्ट्रोल (एलडीएल) की मात्रा ज्यादा हो, रक्त में होमोसिस्टीन अधिक होना, धुम्रपान की आदत, शराब व तम्बाकू की लत हो उनमें मस्तिष्क का दौरा हो सकता है। मधुमेह के रोगियों में स्ट्रोक की जोखिम 2-3 गुना ज्यादा होती है। जिनमें परिवार में किसी को मस्तिष्क का दौरे का इतिहास रहा हो, उच्च रक्तचाप के 40 से 50 प्रतिशत रोगियों में मस्तिष्क का दौरा होने की आशंका होती है। धुम्रपान करने वाले क्यक्ति को या तम्बाकू व शराब का सेवन करने वालो को, जिनका वजन ज्यादा है या जन्मजात रक्तवाहिनी के रोगी को पक्षाघात (लकवा) की सम्भावना ज्यादा होती है।

डाॅ. कपिल ने बताया कि अगर आप उच्चरक्तचाप (हाइपरटेंशन), हृदय रोग, मधुमेह रोग या अधिक कोलेस्ट्रोल की मात्रा से पिडित है तो नियमित डाॅक्टर से जांच कराते रहें और डाॅक्टर की सलाह के अनुसार दवा का सेवन करें। स्ट्रोक से बचनें के लिए शराब, तम्बाकू और धुम्रपान बंद करें। संतुलित आहार लेना चाहिए एवं तनाव से दूर रहें। नियमित व्यायाम और योग करें व अपने मोटापे को नियंत्रित करें। न्यूरो सर्जरी विशेषज्ञ डाॅ. अमित चक्रबर्ती ने बताया कि लकवे में दिमाग की सूजन को कम करने के लिए आपातकालीन आॅपरेशन की जरूरत पडती है। इसमे या तो खून के थक्के को निकाला जाता है या फिर दिमाग की हड्डी को हटाया जाता है  जिसे मरीज को ठीक होने के बाद वापिस लगा दिया जाता है। अगर लकवा खून की नाडियों की सिकुडन से हो रही है तो बाइपास आॅपरेशन किया जा सकता है और अगर गले की खून की नाडी में रूकावट है तो उसे आॅपरेशन से या स्टेन्ट लगाकर हटाया जा सकता है। अगर नस एन्जियोरिज्म (खून की नाडी में फूलाव होना) की वजह से फटी है तो उसे माइक्रो सर्जरी करके क्लिपिंग किया जाता है।न्यूरो फिजियोथेरेपिस्ट अतुल जैन ने लकवे के मरिज में फिजियोथेरेपी के महत्व के बारे में जानकारी दी।

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