BJP legislator Nina Verma's election was canceled for the second time in a single election in MP

इंदौर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों में धार सीट से भाजपा उम्मीदवार के रूप में नीना वर्मा का निर्वाचन आज शून्य घोषित कर दिया। इसके साथ ही, वह सूबे के सियासी इतिहास की पहली महिला नेता बन गयीं जिनका एक ही सीट से विधायक के रूप में निर्वाचन लगातार दो कार्यकालों में अदालत द्वारा अलग-अलग कारणों से रद्द कर दिया गया हो। उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति आलोक वर्मा ने नीना के चुनावी नामांकन पत्र के साथ पेश हलफनामे में अधूरी खानापूरी ?और अन्य दस्तावेजी त्रुटियों के आरोपों को लेकर दायर याचिका पर यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। हालांकि, फैसला सुनाये जाने के कुछ देर बाद नीना को अदालत से फौरी राहत मिल गयी। उनकी ओर से लोक प्रतिनिधित्व कानून की धारा 116-बी के तहत आवेदन दायर कर एकल पीठ से गुहार की गयी कि उनके चुनाव को शून्य घोषित करने के फैसले के अमल पर अंतरिम रोक लगायी जाये, क्योंकि उन्हें इस निर्णय के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील दायर करने के लिये मोहलत की दरकार है। अदालत ने यह आवेदन मंजूर करते हुए नीना के चुनाव को शून्य घोषित करने के फैसले के अमल पर 45 दिन के लिये रोक लगा दी। नीना, वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा की पत्नी हैं।

धार के कर सलाहकार सुरेशचंद्र भंडारी ने इस विधानसभा क्षेत्र के मतदाता की हैसियत से नीना के निर्वाचन को लोक प्रतिनिधित्व कानून के तहत उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर कर चुनौती दी थी। भंडारी के वकील अजय कुमार गंगवाल ने संवाददाताओं को बताया, “नीना के चुनावी नामांकन पत्र के साथ पेश हलफनामे में 24 कॉलम खाली छोड़ दिये गये थे और अन्य दस्तावेजों में उनके बारे में त्रुटिपूर्ण जानकारी दी गयी थी। इससे कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन होता है। उच्च न्यायालय ने इस संबंध में हमारे आरोपों को सही माना और भाजपा उम्मीदवार का निर्वाचन शून्य घोषित कर दिया।” गंगवाल ने कहा कि नीना ने चुनावी पर्चा भरते समय पेश दस्तावेजों में अपनी संपत्ति के कुल मूल्य को लेकर भी? निर्वाचन अधिकारी को कथित तौर पर विरोधाभासी जानकारी दी थी। उन्होंने कहा, “इन दस्तावेजों में एक स्थान पर नीना की संपत्ति का कुल मूल्य करीब 78 लाख रुपये बताया गया, जबकि दूसरे स्थान पर इसकी कीमत लगभग 58 लाख रुपये बतायी गयी थी। गंगवाल ने यह भी कहा कि नीना के चुनावी नामांकन पत्र के साथ पेश दस्तावेजों में उन पर आश्रित लोगों के बारे में भी जानकारी नहीं दी गयी थी और संबंधित कॉलम में “डैश” का निशान लगा दिया गया था। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों में नीना ने धार सीट पर अपने पारम्परिक प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस उम्मीदवार बालमुकुंद सिंह गौतम को 11,482 वोट से हराया था। यह जानना दिलचस्प है कि वर्ष 2008 के विधानसभा चुनावों में नीना ने गौतम को ही केवल एक मत से मात दी थी। पराजित कांग्रेस उमीदवार ने डाक मतपत्रों की पुनर्गणना में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए भाजपा उम्मीदवार के निर्वाचन को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। अदालत ने गौतम की चुनाव याचिका मंजूर करते हुए धार सीट से नीना के निर्वाचन को 19 अक्तूबर 2012 को शून्य घोषित कर दिया था। इसके बाद मामले में नीना की प्रत्यभियोग (रिक्रिमिनेशन) याचिका 14 अगस्त 2013 को खारिज कर दी गयी थी और गौतम को धार सीट से विजयी उम्मीदवार घोषित कर दिया था।

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