Policy commission's proposal for exchange of battery is not practical: Gadkari

नयी दिल्ली। नीति आयोग का देश में आधुनिक इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को प्रोत्साहन के लिए बैटरी अदलाबदली की नीति व्यावहारिक नहीं है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज यह बात कही। नीति आयोग ने एक रिपोर्ट में कहा है कि इलेक्ट्रिक और साझी-सवारी अपनाने से देश में 2030 तक 60 अरब डॉलर के डीजल व पेट्रोल की बचत तथा एक गीगाटन (एक अरब टन) तक कॉर्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकेगा। इस रिपोर्ट में आयोग ने मानकीकृत, स्मार्ट और अदलाबदली वाली बैटरियों की लीज और प्रति इस्तेमाल भुगतान कारोबारी मॉडल के आधार पर वकालत की है। उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित स्मार्ट मोबिलिटी सम्मेलन को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि देश में बैटरी अदलाबदली नीति उचित नहीं होगी क्योंकि यह काफी मुश्किल काम होगा।

यह देश में संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कान्त ने इस मुद्दे पर उनसे चर्चा की है। इसमें उन्होंने सुझाव दिया है कि यह विचार व्यावहारिक नहीं है जिसे रद्द कर दिया जाना चाहिए। मंत्री ने कहा कि दिल्ली और अन्य स्थानों पर प्रदूषण के ऊंचे स्तर को देखते हुए सार्वजनिक परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक वाहन तथा जैव ईंधन आज समय की जरूरत है और सरकार चार्जिंग ढांचे पर काम कर रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह के परिवहन से प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सकेगा। गडकरी ने कहा कि वाहन क्षेत्र की सालाना 22 प्रतिशत की वृद्धि दर को देखते हुए प्रत्येक तीसरे साल राजमार्ग पर एक अतिरिक्त लेन की जरूरत होगी जिसकी लागत 80,000 करोड़ रुपये बैठेगी जो व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने कुछ आंकड़े देते हुए बताया कि उनके संसदीय क्षेत्र नागपुर में 200 इलेक्ट्रिक टैक्सियां पहले ही दौड़ रही हैं और दिसंबर तक 1,000 टैक्सियां और जुड़ेंगी। शहर में पहले से 20 चार्जिंग स्टेशन हैं, जिनके तीन प्रकार हैं। एक बैटरी को 15 मिनट में चार्ज किया जा सकता है। मंत्री ने कहा कि लिथियम आयन बैटरियों की लागत को पहले ही 40 प्रतिशत कम किया जा चुका है। लिथियम बैटरी के 12 विनिमार्ता हैं। गडकरी राजधानी में सार्वजनिक परिवहन में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल के मुद्दे पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ विचार विमर्श करेंगे। एक अनुमान के अनुसार दिल्ली में 10,000 ऐसी बसों की जरूरत है।

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