Jaipur, honor, UNESCO, World Heritage City certificate

अपने स्थापत्य एवं विविधता के लिए जयपुर का विश्व में विशिष्ट स्थान है- ऑड्रे अजोले

जयपुर। अपनी कलांं स्थापत्य और संस्कृति के लिए विश्व में एक खास पहचान रखने वाले गुलाबी नगर जयपुर के सम्मान में एक और सितारा तब जुड़ गया जब यूनेस्को ं की महानिदेशक श्रीमती ऑड्रे अजोले ने बुधवार को अलबर्ट हॉल पर आयोजित समारोह में स्वायत्त शासन एवं नगरीय विकास मंत्री श्री शांति धारीवाल को जयपुर का वल्र्ड हैरिटेज सिटी का प्रमाण पत्र प्रदान किया।

यूनेस्को की महानिदेशक श्रीमती ऑड्रे अजोले ने कहा कि मुझे जयपुर आकर बहुत खुशी हुई। मैं यूनेस्को ं के हेड क्वार्टर पैरिस से एक संदेश लेकर आई हूँ। जयपुर के लोगों द्वारा एक सतत् भविष्य के निर्माण के लिए सांस्कृतिक विरासत का जो संरक्षण किया गया है उन प्रयासों को अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय ने मान्यता प्रदान की है। यह गर्व का विषय है कि यूनेस्को द्वारा जयपुर परकोटा शहर को विश्व विरासत सूची में अंकित किया गया है। इसमें कोई दो राय नही है कि जयपुर अपनी विशिष्ट प्लानिंग के लिए पहले से ही विश्व में एक प्रतिष्ठित शहर है। इसकी वास्तु कला, किले, महल और खगोलियें निर्माण इसे दुनिया का अद्भुत शहर बनाते है। लेकिन यह शिला लेख (वल्र्ड हैरिटेज सिटी की सूची में शामिल होना) भविष्य के लिए इस सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की एक संयुक्त प्रतिबद्धता है।

उन्होंने कहा कि विरासत के संरक्षण का कार्य आसान नही होता है। क्योंकि सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के दौरान हमें कई दबावों का सामना करना पड़ता है। लेकिन यह कार्य आपके और हमारे बच्चों के भविष्य के लिए किया जाता है। क्योंकि यह एक सार्वभौमिक विरासत है। इससे राजस्थान के लोगों के दीर्घकालिक हित जुड़े है। यूनेस्को में जयपुर का एक विशिष्ट स्थान है। जयपुर हैरिटेज से संबंधित सभी आयामों में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। यहां की वास्तुकला में फारसी, मुगल और हिन्दु वास्तुकला का एक शानदार समावेश देखने को मिलता है। आमेर फोर्ट इसका एक बैहतरीन उदाहरण है। जयपुर की विविधता इसे विश्व में एक विशिष्ट स्थान प्रदान करती है।

राजस्थान में केवल वास्तुकला में ही नही बल्कि हस्तकला, संगीत, नृत्य, कटपुतली, कशीदाकारी, ज्वैलरी तथा सभी परम्पराओं में जीवंत्ता और विविधता दिखती है। उन्होंने पर्यटन विभाग एवं यूनेस्को ं के बीच पश्चिमी राजस्थान में इंटेंजेबल हैरिटेज प्रमोशन के लिए किए गये करार की सराहना करते हुए कहा कि यह करार वहां की कला एवं कलाकारों को विश्व में एक नई पहचान देगा।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पर्यटन मंत्री श्री विश्वेन्द्र सिंह ने कहा कि जयपुर विश्व के बैस्ट प्लान्ड शहरों में से एक है। यह हमारे लिये गर्व की बात है कि यूनेस्को कि महानिदेशक जयपुर पधारी है। भारत आने वाले पर्यटको के लिये मोस्ट फेवर्ड डेस्टीनेशन के रूप में जयपुर की पहचान है। सत्त पर्यटन का विकास करना हमारा लक्ष्य है। जो की आम जन के लिय हितकारी साबित हो। राजस्थान के पर्यटन को नई ऊचाईया प्रदान करने के लिए नई पर्यटन निति विकसित कि जा रही है। वाईल्ड लाईफ, रिलिजन और हेरिटेज का समन्वय करके नये पर्यटक सर्किट विकसित किये जा रहे है। पश्चिमी राजस्थान में ईन्टेन्जेबल हैरिटेज प्रमोशन प्रोजेक्ट के तहत 10 नये सांस्कृतिक गन्तव्य स्थल विकसित किये जा रहे है। जोधपुर, बाड़मेर, बीकानेर और जैसलमेर में इन सांस्कृतिक केन्द्र के विकसित होने से पर्यटन को नई दिशा एवं नये आयाम मिलेंगे और वहा के स्थानिय कलाकारो को एक नई पहचान मिलेंगी।

इस अवसर पर यूनेस्को और पर्यटन विभाग के बीच हाल ही में हुए एमओयू के आधार पर शुरू किये जा रहे ईन्टेन्जेबल हैरीटेज प्रमोशन प्रोजेक्ट के ब्राउसर का भी विमोचन यूनेस्को महानिदेशक एवं अतिथियो द्वारा किया गया। पर्यटन मंत्री ने यूनेस्को महानिदेशक को केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के भ्रमण के लिए भी आमंत्रित किया।

कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा कि जयपुर को यूनेस्को की वल्र्ड हेरिटेज सूची में शामिल किए जाने से प्रदेश के पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि राजस्थान कि अपनी कला और संस्कृति की सतरंगी विरासत के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान है, हमारा प्रदेश कला और संस्कृति के माध्यम से टूरिज्म को प्रमोट करने के लिए जाना जाता है। जयपुर तो पर्यटन के क्षेत्र में देश के गोल्डन ट्रायंगल का हिस्सा है, देश में आने वाले विदेशी पर्यटक आगरा, दिल्ली और जयपुर अवश्य आते हैं।

डा. कल्ला ने कहा कि राजस्थान में बर्फ और समुद्र के अलावा सब कुछ है, प्रदेश ने देश की कला और संस्कृति की परंपराओं को समृद्ध बनाने में सदैव अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है, यहां के किले, मंदिर हवेलियां और जल संरक्षण के लिए बनाई गई प्राचीन बावड़ियां आदि जीवंतता और शिल्प कला की अनुपम नजीर है।

कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री ने कहा कि वर्ष 2010 में जयपुर का जंतर मंतर पहली बार यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज सूची में शामिल किया गया। इसके बाद 2013 में रणथंभौर, जैसलमेर, चित्तौड़, कुंभलगढ़, गागरोन तथा आमेर के किले को वल्र्ड हैरिटेज की सूची में शामिल किया गया था। अब जयपुर को इस प्रतिष्ठित सूची में शामिल किया जाना न केवल गुलाबी नगर बल्कि पूरे राजस्थान के लोगों के लिए गर्व की बात है।

स्वायत्त शासन एवं नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि गुलाबी नगरी जयपुर अपनी सम्पन्न स्थापत्य कलां, वैभवशाली भवनों, वास्तुशील्प, नगर नियोजन, संस्कृति और अप्रतिम सौन्दर्य के विश्वविख्यात है। जब विश्वभर में नगर नियोजन एक अज्ञात विषय था तब जयपुर की स्थापना हुई, यहां की चौड़ी सड़कें, चौपड़े, कतार में दुकानें, ऊंची प्राचीरें रह रह कर इस शहर के तत्कालीक शासकों एवं निर्माताओं की याद दिलाती है।

जयपुर शहर को विश्व विरासत सूची में शामिल करवाने के प्रयास 1998 सें ही शुरू कर दिये गये थे। प्रयासों का ही नतीजा है कि अजर बैजान के बाकू में आयोजित यूनेस्को के 43वें सम्मेलन में जयपुर को विश्वविरासत शहर का दर्जा प्राप्त हुआ। जयपुर के हैरिटेज को संरक्षित रखने के लिए राज्य स्तरीय हैरिटेज कमैटी गठित की जा चुकी है। इसके साथ ही चार दीवारी के भीतरी क्षेत्र का 360 डिग्री ड्रोन सर्वे करवाकर 3डी मैप तैयार किया गया है। इसके साथ ही इस क्षेत्र में स्थित हैरिटेज महत्व के अतिमहत्वपूर्ण भवनों की विस्तृत ऎतिहासिक सूचना भी तैयार की गई है। ताकि हैरिटेज महत्व के भवनों के बारें में यहां के निवासियों एवं आने वाले देशी विदेशी पावणों को जानकारी दी जा सकें। जयपुर शहर को हैरिटेज का दर्जा मिलने से यहां का व्यापार एवं पर्यटन बढ़ेगा तथा विश्व में गुलाबी नगर जयपुर का नाम होगा।

इस अवसर पर आयोजित रंगारंग सांस्कृतिक संध्या में जानेमाने कलाकारों द्वारा कालबैलिया, कत्थक, लाल आंगी गेर, चरी, भवाई नृत्य पेश किये गये। प्रसिद्ध कौरियोग्राफर पदम् श्री बंशीकोल के निर्देशन में हुए इस कार्यक्रम में लंगा मांगणियार की फॉक सिम्फनी एवं भपंग वादन ने लोगों की जबरदस्त तालिया बटौरी।

इस अवसर पर परिवहन मंत्री श्री प्रताप सिंह खाचरियावास, मुख्य सचैतक श्री महेश जोशी, विधायक श्री अमीन कागजी, श्रीमती कृष्णा पूनिया, मुख्य सचिव डीबी गुप्ता, प्रमुख शासन सचिव पर्यटन विभाग श्रेया गुहा, आयुक्त नगर निगम श्री विजय पाल सिंह, पर्यटन विभाग के निदेशक श्री भंवर लाल सहित प्रशासनिक अधिकारी, जन प्रतिनिधि एवं शहरवासी मौजूद रहें।

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