जयपुर। गैंगस्टर आनन्दपाल एनकाउंटर मामले में सीबीआई जांच समेत अन्य मांगों के संबंध में राजपूत समाज के आक्रोश और गुस्से को देखते हुए राजस्थान की भाजपा सरकार बैकफुट पर आ गई है। सांवराद हिंसा के बाद पुलिस-प्रशासन की सख्ती और राजपूत सभा भवन में जबरन सर्च ऑपरेशन के बाद पूरे समाज में जबरदस्त प्रतिक्रिया देखी गई है। सरकार के असहयोग रवैये को देखते हुए राजपूत समाज के नेताओं ने भी सोमवार देर रात बैठक करके सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है।

समाज ने जैसे ही 22 जुलाई को जयपुर कूच की घोषणा की, वैसे ही सरकार ने भी समाज के नेताओं को वार्ताओं का न्यौता भेज दिया। शासन सचिवालय में राजपूत नेताओं के साथ सरकार के मंत्रियों से वार्ता शुरु हो गई है। इस वार्ता में सरकार की ओर से गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया, पंचायत मंत्री राजेन्द्र राठौड़, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी शामिल हुए तो राजपूत समाज की ओर से गिर्राज सिंह लोठवाडा, महावीर सिंह सरवडी, दुर्ग सिंह चौहान खींवसर, मोहन सिंह मोरिजा आदि शामिल हुए। वार्ता में मुख्य मुद्दा आनन्दपाल एनकाउंटर मामले की सीबीआई जांच के आदेश करवाने है। वहीं आनन्दपाल के परिजनों की अन्य दूसरी मांगे भी है, जिनमें कुर्क सम्पत्तियों को वापस करने, चीनू व दूसरे परिजनों पर दर्ज झूंठे मुकदमें वापस लेने, चीनू के भारत आने पर कार्रवाई नहीं करने समेत सांवराद हिंसा में राजपूत समाज के नेताओं व लोगों को प्रताडि़त नहीं करने की मुख्य मांगे हैं। देखना है कि सरकार क्या रुख रहता है, वैसे राजपूत समाज की कड़े रुख और भाजपा नेताओं के साथ पार्टी के बहिष्कार की घोषणाओं से सरकार व पार्टी सकते में है। साथ ही 21 जुलाई से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के दौरे के दौरान ही जयपुर कूच के आह्वान से सरकार डरी हुई है कि कहीं कोई अनहोनी ना हो जाए। इसलिए ऐसा लगता है कि संभवतया आज सरकार राजपूत समाज की समस्त मांगों पर सहमति दे दे। वैसे सीबीआई जांच की मांग को छोड़कर शेष सभी मांगों पर सरकार सहमति जता चुकी है। सीबीआई जांच पर सरकार को अपनी सहमति देनी है।

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