जयपुर। कहा जाता है कि दूध का जला छाछ को भी फूंक-फूंक कर पीता है। कुछ ऐसे ही हालात इन दिनों राज्य सरकार के संदर्भ में देखे जा सकते हैं। जो अब गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर के बाद उपजे हालातों से निपटने के लिए एक ऐसा नया और सख्त कानून लाने जा रही है। जिसमें शव की आड़ में धरना देने, प्रदर्शन करने और आंदोलन पर उतरने को अपराध की श्रेणी में माना जाएगा।

इस कानून के उल्लंघन पर उल्लंघनकर्ता को 2 से लेकर 10 साल तक के कारावास व जुर्माने का प्रावधान समाहित किया जा रहा है। इस तरह के प्रदर्शनों की स्थिति के दौरान आगजनी, लूटपाट, हिंसा फैलाने व संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के अलावा नए कानून के तहत भी अब अलग से मामला दर्ज किया जा सकेगा।

-तैयार किया जा रहा बिल
गृह विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि नए कानून के लिए अब बिल तैयार करने का काम पूरी प्रगति पर है। राजस्थान निषेध और सार्वजनिक आंदोलन के अवरोधों की रोकथाम एवं आवश्यक सेवा बिल-2017 का प्रारुप हरियाणा सरकार की तर्ज पर होगा। जिसे संभवत: आगामी विधानसभा सत्र के दौरान अमली जामा पहना दिया जाएगा।

-शवों को लेकर होते रहते धरने प्रदर्शन
स्थिति पर गौर किया जाए तो राजस्थान में विशेषतौर पर आदिवासी इलाकों में मौताणे की मांग को लेकर शवों के साथ धरना-प्रदर्शन की घटनाएं आम है। प्रदेश के आदिवासी इलाकों में ऐसी घटनाएं अक्सर देखने को मिलती है। इस तरह के आंदोलनों से जनता को जहां भारी परेशानी उठानी पड़ती है। वहीं संपत्ति के नुकसान के साथ ही जनहानि भी झेलनी पड़ती है। इस स्थिति से पार पाने के लिए अब इस बिल पर गंभीरता के साथ काम किया जा रहा है।

-बिना अनुमति प्रदर्शन तो महीनेभर जेल
प्रदेश के गृह विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर पुलिस को यह प्रतीत होता है कि किसी रैली, सभा या प्रदर्शन से कानून-व्यवस्था की स्थिति को खतरा हो सकता है या स्थिति बिगड़ सकती है तो वह ऐसे आयोजनों की अनुमति नहीं देती। अनुमति नहीं मिलने के उपरांत भी लोग अक्सर आंदोलन की राह पर निकल पड़ते हैं। इसकी रोकथाम को देखते हुए पुलिस अब आयोजकों को अधिकतम 30 दिन तक डिटेन कर जेल में डाल सकेगी।

…तो नहीं बिगड़ती स्थिति
प्रदेश में अनेक बार आंदोलनों के उग्र होने की स्थिति सामने आ चुकी है। घड़साना का उग्र आंदोलन तो लोगों के जहन में आज भी है। वहीं गुर्जर आंदोलन के दौरान प्रदेश में जो हालात उभरे वे आज भी लोगों में सिरहन ही पैदा कर देते हैं। इन घटनाओं से यदि सरकार समय रहते सबक ले लेती तो आंनदपाल सिंह एनकाउंटर के बाद नागौर के सांवराद में उपद्रव सामने नहीं आता। सख्त कानून के होने की स्थिति में लोग गलत कदम उठाने के मामले में पहले कई मर्तबा सोच विचार करते। फिर भी अब सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है। ऐसे में सख्त और नया कानून सामने से भविष्य में ऐसे हालातों पर समय रहते काबू पाया जा सकेगा।

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