Amrit Siddhviv Mahotsav at Temple Sanganer of Digambar Jain Sanghij
Amrit Siddhviv Mahotsav at Temple Sanganer of Digambar Jain Sanghij

जयपुर । सांगानेर एक बार फिर पूरे देष-विदेष में आध्यात्म…संयम…त्याग…तपस्या…साधना..धर्म और संस्कृति का प्रतीक बनने जा रहा है। यह षुभअवसर आने में अब बस एक दिन ही है जब सांगानेर के दिगम्बर जैन संघीजी के मन्दिर से भूगर्भ से 7 दिन के लिए अलौकिक…अप्रतिम…अतिषयकारी रत्नमयी जिनालय को जैन मुनिपंुगव सुधासागर जी 19 जून 2017 को सुबह निकालेंगे।

अमृतसिद्वि महोत्सव समिति के कार्याध्यक्ष हुकुम काका ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए एअरपोर्ट, रेल्वे स्टेषनों, बस स्टैण्डो पर विषेष काउण्टर बनाए गये है। पाण्डाल को सुरक्षा व्यवस्थाओं के अनुरूप चाक चैबन्द किया जा चुका है। महोत्सव समिति के अध्यक्ष गणेष राणा ने बताया कि इन दुर्लभतम प्रतिमाओं के अलौकिक महत्व को देखते हुए ही समिति ने इन प्रतिमाओं के सुबह से सायं 5 बजे तक अभिषेक की एवं 24 घण्टे दर्षन की व्यवस्था की है।जयपुर पुलिस आयुक्तालय के अतिरिक्त आयुक्त डा. नितिन दीप ब्लगन ने आज सभी संबधित विभागों बिजली, पानी, सडक, सफाई, परिवहन, यातायात, चिकित्सा, फायर ब्रिगेड आदि विभागों की बैठक कर समन्वय कर आवष्यक निर्देष दिए। अतिरिक्त आयुक्त ने बताया कि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए आर ए सी की कंपनियो सहित जयपुर के बाहर के अधिकारियों और जवानों को भी बुलाया गया है।

अलौकिक अमृतसिद्वि महोत्सव समिति के प्रचार संयोजक राकेष जैन ने बताया कि सांगानेर मंे भूगर्भ से जिनालय को सबसे पहले 1933 में कुछ समय के लिए दर्षनार्थ निकाला गया था उसके बाद 1971,1987, 1992, 1994 और 1999 में भूगर्भ से संकल्पबद्ध होकर कुछ समय के लिए निकाला गया था। इन दुर्लभतम अलौकिक अतिषयकारी प्रतिमाओं को पहली बार 7 दिन के लिए भूगर्भ से विषाल जनमेदिनी….जनसैलाब के दर्षनों…अभिषेक के लिए निकाला जा रहा है। चतुर्थकालीन संघीजी के मन्दिर को तल्लों का मन्दिर भी कहा जाता है क्योकि वर्तमान मन्दिर के नीचे 5 तले है और दो तले उपर है। मध्य की पाॅचवी मंजिल में यक्षरक्षित बहुमूल्य दुर्लभतम नवरत्नों की प्राचीनतम प्रतिमाएं है। ये प्रतिमाएं 2 इंच से लेकर 9 फुट तक की प्रतिमाएं है। इनमें पन्ना, नीलम, माणिक, मरकतमणि, स्फटिकमणि, गरूडमणि, गोमेद, मूंगा आदि की प्रतिमाएं है। वर्ष 1994 तक 69 मूर्तियों का जिनालय बाहर निकाला गया था जबकि वर्ष 1999 में 101 मूर्तियों का विषाल जिनालय था। अब पूरा देष इस प्रतिक्षा में है कि इस बार यक्षरक्षित प्रतिमाओं में से कितनी दिव्य षाक्तियों वाली प्रतिमाएं बाहर दर्षनार्थ एवं अभिषेक के लिए मुनिपुंगव सुधासागर जी मानव मात्र के तन मन आचरण को निर्मल बनाने एवं आधि-व्याधि को दूर करने के लिए निकालेंगे।

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