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जयपुर। पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल ने कहा कि स्कुल में बच्चों सुरक्षित वातावरण उपलब्ध करवाया जाय। पुलिस कमिश्नर आज शुक्रवार को विद्याश्रम स्कुल के महाराणा प्रताप आडिटोरियम में जयपुर जयपुर की स्कुलों के प्राचार्यों के साथ आयोजित बच्चों की सुरक्षा से संबंधित आपसी संवाद कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जो समाज बच्चों को सुरक्षा देते है वो एक अच्छाा समाज है। बच्चों के जीवन में पेरेंटस का प्रभाव रहता है दूसरा स्कूल का भी प्रभाव रहता है। इन दोनों के बीच के बीच का प्रभाव पुलिस प्रशासन का रहता है। उन्होंने ब्लू व्हेल गेम के बारे में कहा कि बच्चे इसका शिकार होकर आत्महत्या जैसे कदम उठाने के लिए मजबूर हो रहे है। उन्होंने कहा कि आज इंटरनेट हमारी जिन्दगी के हर पहलू मे आ गया है। इंटरनेट बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है। इंटरनेट से सकारात्मक चीजें मिलती है लेकिन इसके नकारात्मक प्रभाव को भी देखना होगा।

ब्लू व्हेल गेम जानलेवा है। उन्होंने स्कूल के प्राचार्यों से अपील की है कि बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार करते हुये उनकी समस्याओं को सुलझाने में सहयोग करें साथ ही बच्चों के व्यवहार एवं गतिविधियों में आये बदलाव पर नजर रखें ताकि वे अनायास ही इस ब्लू व्हेल गेम का षिकार होने से बच सकें। प्राचार्य एवं पेरेंटस किसी भी समस्या के लिए तुरंत हमसे संवाद करें। बच्चे पर अध्यापक का प्रभाव ज्यादा पडता है। जिला कलक्टर सिद्वार्थ महाजन ने कहा क बच्चों की सुरक्षा के लिए सीबीएसई की गाइड लाइन के अनुसार कदम उठाये गये है। बच्चों की सुरक्षा पेरेंटस, प्रषासन व स्कूलों के लिए एक चुनौती है। उन्होंने प्राचार्यों से कहा कि आप किसी भी समस्या को लेकर आयें उसका जरूर समाधान किया जायेगा। इस क्षेत्र में कई एनजीओं भी कार्य कर रहे है उन्हें भी अपनी समस्या बता सकते है। एनडीएमए ने भी गाइड लाइन दी है। उसके मुख्य बिन्दुओं को भी प्रजेंटेशन देकर बताया जायेगा।

इसकी सभी स्कूलों में क्रियान्विति की जाय। पुलिस प्रशासन हमेशा आपको सहयोग करेगा। कार्यक्रम में पुलिस उपायुक्त अपराध डा0 विकास पाठक ने प्रजेंटेशन देकर ब्लू व्हेल गेम की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि इसमें 12-19 आयुवर्ग के बच्चे शिकार होते है। बच्चों को प्रत्यक्ष तोर पर यह गेम उपलब्ध कराया जाता है। इसमें ऐसे बच्चों को चुना जाता है जो सोषल मीडिया से जुडे हुये हो। इन्हें ब्लेक वेबसाइट भी कहते है। इस गेम के एडमिनिस्ट्रेटर ही बच्चों को चुनते है। इसका एक्सट्रीम टास्क सुसाइड होता है। बच्चा यदि रात में उठ जाता है, शरीर को कहीं से काट लेता है, बिल्डिंग की छत पर उपर चला जाता है और समूह में नहीं बैठकर एकांत में रहना ज्यादा पसंद करता है तो उस पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों के रोल मॉडल बनकर उन्हें क्या करें क्या नहीं करें, के बारे में जानकारी दें। जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक भी अशोक गुप्ता ने कहा कि इस गेम को खेलने की प्रवृति लडकों में ज्यादा पायी जाती है। किषोरावस्था मे ही ऐसी परिस्थितिया होती है। उन्होंने कहा कि यह एक मेंटल डिसआर्डर है यह बिमारी नहीं है। अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त यातायात शिल्पा चौधरी ने बाल वाहिनी से संबंधित प्रजेंटेशन देकर उसके नियमों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में स्कूल के प्राचार्यो द्वारा किये गये पश्नों के जवाब भी दिये गये। पुलिस उपायुक्त मुख्यालय गौरव श्रीवास्तव ने कार्यक्रम का संचालन एवं आये हुये अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त प्रथम प्रफुल्ल कुमार, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त द्वितीय नितिनदीप ब्लग्गन सहित कमिश्नरेट के अधिकारी एवं स्कूलों के प्राचार्य उपस्थित थे।

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