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ई-ऑक्शन से महज 35 दिनों में सर्वाधिक सम्पत्ति बेचने का बनाया रिकॉर्ड, वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस लंदन में दर्ज हुई बोर्ड की कामयाबी, बोर्ड ने महज 35 दिनाें में ई-ऑक्शन से नीलाम किये थे 1010 मकान
वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस प्रबंधन ने आयुक्त को भेजा कन्फर्मेशन लेटर
जयपुर। राजस्थान आवासन मण्डल ने अपने अधिशेष मकानों को ई-ऑक्शन से सबसे कम समय में सर्वाधिक मकान बेचने का विश्व रिकॉर्ड बनाया है। उल्लेखनीय है कि मंडल द्वारा महज 35 कार्यदिवसों में 1010 मकान बेचने की उपलब्धि को वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस्, लंदन ने दर्ज किया है। इस सम्बंध में वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस्, लंदन का कन्फर्मेशन लेटर मंडल को प्राप्त हो गया है।

आयुक्त पवन अरोड़ा ने बताया कि मंडल द्वारा मुख्यमंत्राी अशोक गहलोत के विजन के आधार पर अधिशेष मकानों को ई-ऑक्शन से 50 फीसदी तक की छूट पर बेचने का अभिनव प्रयोग किया। मंडल ने यह कार्यक्रम 30 सितम्बर, 2019 से 23 नवम्बर, 2019 तक चलाया था। यह कार्यक्रम प्रदेश की 42 शहरों की 50 योजनाओं में अधिशेष मकानों को बेचने के लिए चलाया गया था। गौरतलब है कि बेचे गए मकान सर्वाधिक ईडब्लूएस और एलआईजी श्रेणी के थे।

-आयुक्त की रणनीति से बनाया सर्वाधिक मकान बेचने का विश्व रिकॉर्ड
आयुक्त पवन अरोड़ा की रणनीति कामयाब रही और मण्डल ने उम्मीद से अधिक मकान बेचकर ई-ऑक्शन से विश्व में सर्वाधिक मकान बेचने का कीर्तिमान स्थापित कर दिया। आयुक्त पवन अरोड़ा ने टीम वर्क, मार्केटिंग मैनेजमेंट और व्यापक प्रचार-प्रसार के साथ ऎसी रणनीति बनाई कि ई-ऑक्शन से महज 35 दिनाें में 1010 मकान बेचकर, 162 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त कर विश्व रिकॉर्ड ही बन बना दिया।
राजस्थान आवासन मण्डल में ई-ऑक्शन कार्यक्रम की जब कार्य योजना बनाई जा रही थी, तो इसकी सफलता को लेकर आशंकाएं व्यक्त की जा रही थी। उसकी वजह यह थी कि मण्डल ने कभी मकानों को बेचने के लिए ई-ऑक्शन जैसी डिजीटल प्रक्रिया नहीं अपनाई थी। लेकिन आयुक्त श्री पवन अरोड़ा ने ई-ऑक्शन प्रक्रिया को पारदर्शी, जवाबदेह और सरल बनाकर इसे आम लोगों के लिए आकर्षक बना दिया। मण्डल द्वारा पूरे राजस्थान में 92 हेल्पडेस्क बनाए गए, जहां नीलामी प्रक्रिया में भाग लेनी की निःशुल्क व्यवस्था की गई। प्रत्येक सम्पत्ति के आगे ऑक्शन के लिए उपलब्ध मकानों के विवरण को हॉर्डिंग्स के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। साथ ही प्रत्येक सम्पत्ति के लिए नोडल ऑफिसर नियुक्त किए गए, जिन्होंने उस सम्पत्ति से संबंधित जानकारी इच्छुक खरीददारों को उपलब्ध कराई। सम्पत्ति के बाहर भी हेल्पडेस्क स्थापित किए गए। प्रदेश में 50 योजनाआें के लिए 52 नोडल अधिकारी बनाए गए थे।
खरीददारों को सम्पत्ति से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी दी गई। उन्हें मकान का वास्तविक मूल्य, छूट और छूट के बाद खरीद मूल्य से सम्बंधित सूचना उपलब्ध कराई गई। इसके साथ ही फ्लोर प्लान, की प्लान और लोकेशन से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई गई। आयुक्त द्वारा लगातार फील्ड विजिट की गई और योजनाओं में जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित कराया गया।

-असफल बोलीदाताओं को फोन कर दी, ई-ऑक्शन की जानकारी
आयुक्त पवन अरोड़ा ने अधिकारियों को निर्देश दे रखे थे कि जिन इच्छुक खरीददारों ने ई-ऑक्शन प्रक्रिया में भाग लिया, लेेकिन किसी कारण से असफल हो गए। उनको संभावित खरीददार मानते हुए, दूसरे चरण में भाग लेने के लिए फोन कर प्रक्रिया में भाग लेने के लिए आग्रह किया जाए। नोडल अधिकारियों ने ऎसा ही किया, जिसका परिणाम था कि ई-ऑक्शन प्रक्रिया में ज्यादा मकान बिक सके।
आयुक्त पवन अरोड़ा प्रत्येक दिन सुबह मण्डल के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ई-ऑक्शन की समीक्षा करते थे और आगे की रणनीति बनाते थे। राज्य के प्रत्येक हिस्से से रोज रिपोर्ट मंगवाकर, उसके अनुकूल कार्य योजना बनाई जाती थी। इसके साथ ही संबंधित अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए जाते थे।

ई-ऑक्शन कार्यक्रम की जानकारी पूरे प्रदेश में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और आउटडोर मीडिया के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाई गई। इसके साथ ही कॉल सेंटर बनाकर आम लोगों को इस कार्यक्रम से अवगत कराया गया। जयपुर में 24 घंटे कार्य करने वाला केन्द्रीय कॉल सेंटर स्थापित कर 6 टेलीफोन लाइनें खोली गई। इसके साथ ही आवासन मंडल मुख्यालय पर भी 3 टेलीफोन लाइनें खोली गई। केन्द्रीय कॉल सेंटर पर 83 हजार 156 कॉल और मंडल मुख्यालय पर 16 हजार 192 व्यक्तियाें को फोन पर ई-ऑक्शन कार्यक्रम की जानकारी आदान सूचना की गई।
-डिजीटल मीडिया व बल्क मैसेज के माध्यम से भेजी गई ई-ऑक्शन की जानकारी
अरोड़ा ने बताया कि आवासन मण्डल द्वारा चलाए गए ई-ऑक्शन कार्यक्रम की जानकारी देने के लिए 5 लाख लोगों को बल्क मैसेज किए गए। इसके साथ ही इस दौरान आवासन मंडल की वेबसाइट को 9 लाख 87 हजार 437 हिट्स मिले।

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