जयपुर। जोधपुर की पूर्व सांसद, मारवाड़ राजवंश की राजमाता कृष्णा कुमारी का सोमवार देर रात निधन हो गया। वे 92 साल की थी। सोमवार रात को हार्ट-अटैक आने पर उन्हें जोधपुर के गोयल अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। उम्मेद भवन में उनकी पार्थिव देह लोगों के दर्शनार्थ रखी गई है। शाम चार बजे जसवंत थड़ा में अंतिम संस्कार किया जाएगा।
सीएम वसुंधरा राजे और पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कृष्णा कुमारी के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें जन नेता बताया और कहा कि उन्होंने जोधपुर को बहुत प्यार दिया है। कृष्णा कुमारी मारवाड़ के महाराजा हनवंत सिंह की पत्नी थी। वे गुजरात के ध्रांगध्रा राजघराने की राजकुमारी थी। हनवंत सिंह और कृष्णा कुमारी के तीन संतानें हुई। चन्द्रेश कुमारी, शैलेश कुमारी और गजसिंह उनकी संतानें है। राजमाता के निधन से मारवाड़ राजघाने व शुभचिंतकों में शोक है। हजारों लोग उनके दर्शनों के लिए उम्मेद भवन पहुंच रहे हैं। कृष्णाकुमारी का जोधपुर और यहां की जनता से अंत तक अपणायत का गहरा रिश्ता रहा।
वे महल में शहर की महिलाओं को बुलवाती थीं और उनके साथ बैठकर शहर, विकास कार्यों, बदलाव और महिलाओं के बारे में बात करती थी। कई सामाजिक कार्यों से जुड़ी होने से जनता से सीधा लगाव रहा। कृष्णाकुमारी राजपरिवार की 5 पीढ़ियों की साक्षी रहीं। विवाह के वक्त तत्कालीन मारवाड़ के महाराजा उम्मेदसिंह थे। उनके बाद हनवंतसिंह महाराजा बने। बतौर बहू वे 1943 में जोधपुर आईं। 1952 में हनवंतसिंह के विमान हादसे में आकस्मिक निधन के बाद राजमाता ने परिवार की जिम्मेदारियां संभालीं। उनके निधन के बाद कृष्णाकुमारी के पुत्र गजसिंह महाराज बने। बेटे के बेहतर भविष्य के लिए छोटी उम्र में ही गजसिंह को विदेश भेजने में नहीं हिचकिचाई।
उन्होंने हनवंतसिंह की दूसरी पत्नी जुबैदा के बेटे हुकमसिंह उर्फ टूटूबन्ना को भी वही ममत्व सुख दिया, जो सगे बेटे गजसिंह को दिया। उन्होंने 1971 में लोकसभा का चुनाव लड़ा। जनता के भरपूर समर्थन से वह रिकॉर्ड मतों से जीत कर आई। पूर्व राजमाता ने घूंघट प्रथा को हटाने की मुहिम भी छेड़ी। उन्होंने महिलाओं को परदे से बाहर आने और बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भरपूर कार्य किए। आज उनके निधन से एक युग खत्म हो गया है। हर कोई उनके निधन से दुखी दिख रहा है।