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गांधी नगर। गुजरात में वर्ष 2002 में हुए गोधरा कांड मामले के ग्यारह दोषियों की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दी है। गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार को यह फैसला देते हुए गुजरात सरकार की कानून व्यवस्था में बरती ढिलाई को लेकर भी टिप्पणी की है। कोर्ट ने ट्रेन हादसे में मौत का शिकार सभी पीड़ितों को दस-दस लाख का मुआवजा दिए जाने के आदेश दिए हैं।

कोर्ट ने आदेश में कहा कि गोधरा कांड के दंगों में गुजरात सरकार तो कानून व्यवस्था में फेल रही। रेलवे भी कानून व्यवस्था में फेल रहा। गौधरा कांड के दंगों में दंगाईयों ने साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में आग लगा दी थी। उस हादसे में 59लोगों की मौत हुई। हादसे में शिकार लोग अयोद्धा से लौट रहे थे। कोर्ट ने इस मामले में ३१ दंगाईयों को दोषी माना और ११ जनों को फांसी की सजा सुनाई। २० जनों को आजीवन कारावास की सजा दी। ६३ लोगों को बरी कर दिया था। मामले के दोषियों ने इस फैसले को हाईकोर्ट गुजरात में चुनौती दी। गुजरात सरकार ने बरी हुए ६३ लोगों के मामले में भी हाईकोर्ट में अपील की थी। सोमवार को हाईकोर्ट ने मृत्युदण्ड की सजा के दोषी ११ जनों की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया है। गौरतलब है कि २७फरवरी, २००२ को गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस रुकी। इस ट्रेन में बड़ी संख्या में कारसेवक थे, जो अयोध्या से लौट रहे थे। स्टेशन के नजदीक दूसरे समुदाय के लोगों ने पेट्रोल छिड़कर डिब्बों के आग लगा दी। छह डिब्बों में आग से 59 कारसेवक की मौत हो गई। इस घटना के बाद पूरा गुजरात दंगों की आग में झुलस गया। हर बड़े शहर में दंगे-फसाद होने लगे। सैकड़ों लोग दंगों में मारे गए।

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