इंदौर. इंदौर में रहने वाली एक बुजुर्ग मां की उम्र करीब 100 साल है। 60 साल का इकलौता बेटा  रामेश्वर प्रजापत है। बेटे ने अपनी मां को सड़क पर लावारिस छोड़ दिया। मां से चलते नहीं बना तो घसीटकर फुटपाथ पर लाया। उसके कपड़े और बिछौना फेंककर चला गया। बेटे ने मां के साथ जो हरकत की, उसका वीडियो और तस्वीरें भी सामने आई हैं। राहगीरों ने तड़पती वृद्धा को देखकर पुलिस को जानकारी दी। महिला के तीन पोते हैं, लेकिन पिता के आगे कोई बोल नहीं पाता। लॉकडाउन के बाद यूं तो परिवार से दूरी बनाने की कई दर्दनाक कहानियां सामने आईं, लेकिन इंदौर में हुई यह घटना आपको अंदर तक झकझोर देगी। 100 साल की बूढ़ी मां और अपने तीनों बेटों के साथ पैतृक मकान में ही रहता था। लॉकडाउन के बाद जमा पूंजी खत्म हो गई। आर्थिक तंगी ने ऐसा घेरा कि चार महीने पहले अपने तीनों नौकरीपेशा बेटों को पत्नी समेत घर से बाहर निकाल दिया। पैतृक मकान में बूढ़ी मां और वह ही रह रहा था। उस पर आरोप भी लगे कि वह मां को कभी खाना देता तो कभी भूखा ही छोड़ देता। पोतों को यह बात पता चली तो दादी का दर्द देखा नहीं गया। पोतों ने कुछ दिन पहले ही मां और अपने साथ रह रही भांजी को दादी की देखभाल के लिए भेजा। सोचा कम से कम दादी को दो वक्त का खाना तो मिल जाएगा। उनकी देखभाल भी हो जाएगी। शनिवार की रात 10.30 बजे रामेश्वर अपनी नातिन को साथ लेकर बूढ़ी मां को पंचकुइया मुक्तिधाम के पास भूतेश्वर मंदिर के बगल में सड़क पर लावारिस छोड़ आया। मां से चलते नहीं बन रहा था तो उन्हें घसीटकर सड़क तक ले आया। मां निढाल थी। उससे बोलते नहीं बन रहा था। कमजोर इतनी कि हाथ भी नहीं उठा पा रही थी। कुछ बोलने के लिए मुंह भी नहीं खोल पा रही थी। बेटा इतना बेरहम हो गया कि वह मां के साथ कपड़े और बिछौना भी उसके पास फेंक आया। भूतेश्वर मंदिर के पास वृद्धा को तड़पते देख राहगीरों ने डायल 100 पर सूचना दी। मल्हारगंज थाने की एसआई कल्पना चौहान मौके पर पहुंचीं। वहां उन्होंने आसपास के लोगों से महिला के बारे में पूछा, लेकिन कोई भी वृद्धा को पहचान नहीं सका। इस पर पुलिस ने पितृ पर्वत के नजदीक संचालित ओल्ड एज वृद्धाश्रम के संचालक यश पाराशर को मौके पर बुलाया। इधर, पुलिस ने आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखे तो सोमवार तक पूरी सच्चाई सामने आ गई। आसपास के सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दिया कि बेटा शनिवार रात 10.30 बजे जबर्दस्ती करते हुए वृद्धा को सड़क तक लाया। वह चल पाने में असमर्थ थी, तो उसे घसीटते हुए सड़क किनारे छोड़ा। इस दौरान उसके साथ एक लड़की भी थी। दोनों ने अपना वाहन दूर खड़ा कर दिया था। उन्होंने वृद्धा को सड़क किनारे जबर्दस्ती बैठाया। बेटे ने कुछ कपड़े और बिछाने के लिए दरी वृद्धा के पास फेंकी और वहां से चला गया। लड़की के बारे में खुलासा हुआ है कि वह नातिन थी जिसे बेटों ने देखभाल के लिए भेजा था। मां को लावारिस छोड़ने के लिए बेटा उसे दबाव बनाकर अपने साथ ले गया था। पुलिस की सूचना के बाद पितृ पर्वत, देव ग्राम स्थित ओल्ड एज होम (वृद्धाश्रम) के संचालक यश पाराशर मौके पर पहुंचे। वे वृद्धा को गोद में उठाकर पुलिस वाहन से वृद्धाश्रम ले गए। उन्होंने वृद्धा से काफी देर तक बात करने की कोशिश की, लेकिन वह बोल नहीं सकी। फिर जब उनसे पूछा कि क्या बेटा या परिवार के लोग मारपीट करते हैं तो वृद्धा ने गर्दन हिलाकर हां कहा। यह देख वृद्धाश्रम के स्टाफ की आंखों में पानी आ गया। कहानी में पहला ट्विस्ट अगले दिन यानी रविवार को आया। वृद्धा के बेटे रामेश्वर को भूतेश्वर मंदिर के नजदीकी लोगों से जानकारी मिली कि बूढ़ी महिला को वृद्धाश्रम वाले ले गए हैं। तब रामेश्वर तत्काल ओल्ड एज वृद्धाश्रम पहुंचा। यहां संचालक यश पाराशर से मिला। कहा मैं अपने किए पर शर्मिंदा हूं। मुझसे गलती हो गई, मुझे माफ कर दो। मेरे तीन बेटे हैं जो दादी को नहीं संभाल पाते। वे मुझसे मां की लैट्रिन-बाथरूम को साफ करने को कहते हैं, लेकिन मुझसे नहीं होता इसलिए मैंने छोड़ दिया था। समाजजन मेरे पीछे पड़ गए हैं, इसलिए मां को लेने आया हूं। यश पाराशर ने रामेश्वर से कहा ऐसी स्थिति में मां को उन्हें नहीं सौंपा जा सकता। आप अब पुलिस व प्रशासन से संपर्क करें। रामेश्वर ने यह बात घर पहुंचकर अपनी पत्नी को बताई। पत्नी ने यह बात अपने बेटों से शेयर की। बीच वाले बेटे सुमित ने वृद्धाश्रम संचालक यश का मोबाइल नंबर ढूंढकर दादी के बारे में जानने की कोशिश की। यश ने बताया कि उसके पिता कोई काम नहीं करते। दादी की ठीक से देखभाल भी नहीं कर पाते। कमाई का कोई साधन नहीं है।
पिता हम तीनों भाइयों पर शक करते हैं। उनसे पूरा घर परेशान है। इसके बाद तीनों पोते सोमवार शाम मल्हारगंज थाने पहुंचे और टीआई से मिलकर दादी को वापस घर लाने की प्रक्रिया के बारे में पूछताछ की। इधर, वृद्धाश्रम संचालक यश ने बताया कि आश्रम में वृद्धा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। उनकी देखरेख में दो महिला सेवादार अर्चना और शिवानी लगी हैं। वृद्धा अभी बोलने की स्थिति में नहीं हैं। हालत खराब होने के कारण उन्हें चम्मच से दूध पिलाया जा रहा है। बेटे और पोते से बातचीत में पता चला कि पारिवारिक विवाद है। ऐसी स्थिति में उन्हें परिवार के सुपुर्द नहीं किया जा सकता, इसलिए हमने उन्हें प्रशासनिक प्रक्रिया के जरिए ही मां को ले जाने की सलाह दी है।

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