जयपुर। भारत के अमर सांस्‍कृतिक इतिहास में कालिदास अनूठे तथा अनुपम हैं। वे जीवन्‍त कवि के रूप में हमारी वैश्विक प्रतिष्‍ठा के सबसे बड़े कवि हैं। यह बात मंगलवार को राजस्‍थान संस्‍कृत अकादमी द्वारा आयोजित कालिदास जयन्‍ती समारोह के मुख्‍य वक्‍ता प्रो.रमेश कुमार पाण्‍डेय ने कही। दिल्‍ली स्थित श्री लालबहादुर शास्‍त्री राष्ट्रिय संस्‍कृत विद्यापीठ के कुलपति प्रो. पाण्‍डेय ने आधुनिक संदर्भों में कालिदास के अध्‍ययन -अध्‍यापन की जरूरत बताई। इन्दिरा गांधी पंचायतीराज संस्‍थान में हुए कार्यक्रम में उन्‍होंने कहा कि विश्‍वविद्यालयों तथा अकादमि‍यों में कालिदास के अमर साहित्‍य‍िक कृतित्‍व पर विशेष शोध होना चाहिये। कालिदास पहले ऐसे भारतीय कवि थे, जिन्‍होंने पूरे विश्‍व को प्रभावित किया। आज पूरे विश्‍व में कालिदास को पढाया जा रहा है। अत भारत में कालिदास अध्‍ययन को अनिवार्य होना चाहिये।
मुख्‍य अतिथि रमेश शर्मा, निदेशक डी. डी. राजस्‍थान ने थियेटर तथा नाट्य शास्‍त्र विभाग में कालिदास के नाटकों तथा काव्‍यों के मंचन की प्रासंगिकता को समझाया। उन्‍होंने कहा कि लोगों के मन में कालिदास जगा रहना चाहिये। यह शान्ति तथा सद्भाव को बढाने वाला होगा।
इस अवसर पर विशिष्‍ट अतिथि देवर्षि कलानाथ शास्‍त्री तथा अकादमी अध्‍यक्ष डॉ. जया दवे ने कालिदास जयन्‍ती पर प्रकाश डाला।  दवे ने फरवरी, 2017 में होने वाले माघ महोत्‍सव की रूपरेखा भी बताई। मंगलाचरण डॉ. देवेन्‍द्र शर्मा तथा अपर्णा शर्मा ने किया। धन्‍यवाद ज्ञापन अकादमी निदेशक डॉ. राजेन्‍द्र तिवारी तथा संचालन शास्‍त्री कोसलेन्‍द्रदास ने किया।

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