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लखनऊ, उत्तर प्रदेश के विपक्षी दलों ने आज राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार के एक साल के कार्यकाल को नाकामी भरा करार दिया और कहा कि हर मोर्चे पर अफसल भाजपा सरकार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खुश करने के बजाय प्रदेश के ग़रीबों, मजदूरों तथा आमजनता के हित में काम करना चाहिये। बसपा मुखिया मायावती ने योगी सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल को ‘एक साल, बुरी मिसाल’ की संज्ञा देते हुए कहा कि इसी वजह से गोरखपुर तथा फूलपुर के लोकसभा उपचुनाव में जनता ने भाजपा को सबक सिखा दिया है। जनता ने ही योगी सरकार के एक वर्ष के शासनकाल का आकलन करते हुए उसे ‘शून्य अंक’ दिया है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश की आमजनता से घोर वादाख़िलाफी करने और धार्मिक उन्माद से बहकाने की भूल का ही नतीजा है कि उपचुनाव में भाजपा को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की परम्परागत गोरखपुर लोकसभा सीट भी गंवानी पड़ी। योगी सरकार को संघ और प्रधानमंत्री मोदी को खुश करने के लिये व्यर्थ का काम करने के बजाय प्रदेश के 22 करोड़ ग़रीबों, मजदूरों तथा आमजन के हित में काम करना चाहिये। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि योगी सरकार एक साल के कार्यकाल में धार्मिक कर्मकाण्डों और पूजा-पाठ में ही लगी रही। दूसरी ओर प्रदेश में बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था और किसानों की स्थिति खराब होती गयी। सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी ने योगी सरकार के एक साल के कार्यकाल को छल, फरेब और धोखे भरा करार दिया। साथ ही कहा कि योगी सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिये जश्न में डूबी है। भारतीय लोकतंत्र की यह पहली सरकार है जिसने अपने एक साल के कार्यकाल में कोई काम नहीं किया।

उन्होंने कहा कि योगी सरकार अपनी पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार के काम को अपना बताती रही, मगर जनता सचाई जानती है। यह सरकार दो बजट पेश कर चुकी, मगर वह धन कहां खर्च हुआ, उसकी जमीनी हकीकत का कुछ पता नहीं है। किसान आत्महत्या कर रहे हैं, नौजवान बेरोजगारी के कारण त्रस्त हैं। अखिलेश सरकार ने जिन 10 लाख लोगों को नौकरी दी थी, इस सरकार ने उनमें से साढ़े तीन लाख को तो सड़क पर ला दिया है। इस बीच, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा कि जिस सरकार की असफलता पर प्रदेश की जनता ने गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनाव में अपना फैसला सुना दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार सभी मोर्चे पर विफल साबित हुई है। ऐसे में जनता की गाढ़ी कमाई के धन से किसी भी तरह का जश्न मनाना प्रदेश की पीड़ित जनता के जले पर नमक छिड़कने जैसा है।

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