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नयी दिल्ली : कोई खेतीहर मजदूर है तो कोई घरों में दूध बेचता है और कोई आर्केस्ट्रा में गाकर बसर करता है । यह कहानी विश्व कप जीतने वाली भारतीय नेत्रहीन क्रिकेट टीम के सदस्यों की हैं जो उस देश में तंगहाली से जूझ रहे हैं जहां दो दिन के बाद आईपीएल नीलामी में क्रिकेटरों पर करोड़ों की बारिश होने वाली है।

शारजाह में पाकिस्तान को हराकर दूसरी बार वनडे विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के 17 सदस्यों में से 12 के पास स्थायी रोजगार नहीं हैं जिनमें से सात शादीशुदा भी हैं । अलग अलग काम करके बसर करने वाले इन खिलाड़ियों की कमाई पर गाज गिरती है जब वे खेलने के लिये बाहर रहते हैं।

बांग्लादेश के खिलाफ सेमीफाइनल में मैन आफ द मैच रहे वलसाड़ के गणेश मूंडकर 2014 से टीम का हिस्सा हैं और दो विश्व कप, एक एशिया कप , एक टी20 विश्व कप जीत चुके हैं । माता पिता खेत में मजदूरी करते हैं और ये छोटी सी किराने की दुकान चलाते हैं । आर्थिक स्थिति खराब होने से छोटे भाई की पढाई भी छुड़वानी पड़ी ।

उन्होंने भाषा से कहा ,‘‘ घरवाले कभी कभी कहते हैं कि क्रिकेट छोड़ दो लेकिन खेल मेरा जुनून है । चार साल पहले गुजरात सरकार ने विश्व कप जीतने के बाद नौकरी का वादा किया था और मैं अभी तक इंतजार कर रहा हूं ।’’ वहीं आंध्रप्रदेश के कूरनूल जिले के प्रेम कुमार बी वन श्रेणी के यानी पूर्ण नेत्रहीन हैं और आर्केस्ट्रा में गाकर गुजारा करते हैं ।

सात बरस की उम्र में चेचक में आंख गंवा चुके प्रेम ने कहा ,‘‘ मैं आर्केस्ट्रा और स्थानीय चैनलों पर गाता हूं और एंकरिंग करता हूं । एक कार्यक्रम का एक या डेढ हजार रूपया मिल जाता है । गणपति महोत्सव के समय महीने में दस कार्यक्रम मिल जाते हैं वरना दो तीन ही ।’’ गुजरात के ही वलसाड़ के रहने वाले अनिल आर्या के परिवार में दादा दादी, माता पिता, पत्नी और दो बच्चे हैं जबकि मासिक कमाई 12000 रूपये है । पिता कभी कभार खेतों में मजदूरी करते हैं जबकि अनिल दूध बेचते हैं ।

उन्होंने कहा ,‘‘ मैं दूध बेचने का काम करता हूं और क्रिकेट खेलने के दौरान अपने ड्राइवर को जिम्मा सौंपकर आया हूं । मुझे रोज सुबह उठते से सबसे पहले उसे निर्देश देने पड़ते हैं ।’’ बारहवीं तक पढे अनिल ने बताया कि उनके गांव में अभ्यास की सुविधा नहीं है और गुजरात की पूरी नेत्रहीन टीम ने राज्य सरकार से अपील की थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई ।

भारतीय नेत्रहीन टीम के विराट कोहली के नाम से मशहूर आंध्रप्रदेश के वेंकटेश्वर राव टीम के सर्वश्रेष्ठ फील्डर हैं । पाकिस्तान के खिलाफ लीग मैच में 68 और फाइनल में 35 रन बना चुके राव चिर प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ चार शतक जमा चुके हैं। उन्होंने कहा ,‘‘ मैं श्रीकाकुलम में अस्थायी शारीरिक शिक्षण ट्रेनर के रूप में काम कर रहा हूं ।पहले 5000 रूपये मिलते थे और अब 14000 रूपये जो पूरे नहीं पड़ते । जब तक नौकरी ना हो, मैं शादी भी नहीं कर सकता ।’’

यह हाल है उन खिलाड़ियों का जिन्होंने पिछले 59 महीने में दो टी20 विश्व कप, दो वनडे विश्व कप, एक एशिया कप और चार द्विपक्षीय श्रृंखलायें जीती है। कप्तान अजय रेड्डी ने कहा कि जहां क्रिकेटरों को एक जीत पर सिर आंखों पर बिठाया जाता है, वहां ये नौकरी और सम्मान को तरस रहे हैं। उन्होंने कहा ,‘‘ खिलाड़ी अपना पूरा फोकस खेल पर नहीं कर पा रहे । बीसीसीआई या खेल मंत्रालय से मान्यता मिलने से भी समस्यायें बहुत हद तक सुलझ सकती है लेकिन वह भी नहीं मिली है।’’

भारत में नेत्रहीन क्रिकेट संघ इस खेल का संचालन करता है जो गैर सरकारी संगठन समर्थनम ट्रस्ट का हिस्सा है । इसके सचिव और भारतीय टीम के कोच जान डेविड ने कहा ,‘‘खिलाड़ियों के भविष्य को लेकर चिंता होती है क्योंकि ऐसे बिना किसी अनुदान या रोजगार के कब तक ये खेलते रहेंगे।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ मैदान पर ये हर जंग जीत जाते हैं लेकिन यही हालात रहे तो हौसले की जंग हार जायेंगे । ’’

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