जयपुर। देश और प्रदेश में जिस तरह से दलितों पर अत्याचार के मामले बढ़ते जा रहे हैं यह चिंता का बड़ा विषय बनता जा रहा है। इसी सिलसिले में एक ताजा मामला सामने आया है टोंक जिले से वहां के दूना थाना क्षेत्र में सरदारपुरा गांव में कुछ स्वर्ण जाति के लोगों के साथ दलित परिवार भी रहते हैं। लेकिन स्वर्ण जाति के दबंग लोग अब दलितों को गांव से भगाने पर अमादा है। दलितों को गांव से भगाने के लिए वे उन्हें तरत-तरह से परेशान कर रहे हैं। उन्होेंने दलितों के कच्चे मकानों को जेसीबी मशीन से पूरी तरह तहस-नहस कर दिया। गांव के यह दबंग लोग दलितों को सरकारी नल से पानी भी नहीं भरने देते हैं। साथ ही सरकार द्वारा चलाई गई मुहीम के तहत बनवाए गए दलितों के शौचालयों को भी तोड़ दिया गया है। ऐसे में गांव के परेशान लोगों ने जब दूनी थाना में मामला दर्ज कराने पहुंचे तो पुलिस ने दबंगों के डर से पीड़ितों का मामला दर्ज करने के इन्कार कर दिया। पीडितों ने जिला कलेक्टर सुबेसिंह यादव से भी मामले में कार्रवाई किए जाने की गुहार लगाई। लेकिन पीडित दलितों की कहीं सुनवाई नहीं की गई। ऐसे में परेशान लोगों ने अब गांव से पलायन कर टोंक में ही अपना डेरा जमा लिया है।

अम्बेड़कर महासभा के बैनर तले गांव के भी लोग घन्टाघर पर अम्बेड़कर की मूर्ति के पास आमकरण अनशन पर बैठ गए हैं…पीड़ित लोगों का कहना है कि जब तक जिला प्रशासन उनकी मदद नहीं करेगा तब तक सभी लोग इसी तरह भूखे प्यासे आमरण अनशन पर बैठे रहेंगे। वहीं आमरण अनशन को शुरू हुए कई घन्टों के बाद भी जिला प्रशासन ने पीड़ितों की कोई सुध नहीं ली है। अब यह सवाल दलित समाज के बड़े नेताओं और ठेकादारों के लिए भी है कि वे क्या राजनीति करने के लिए ही दलितों का मुद्दा उठाते हैं। ऐसे प्रकरण में क्या उनकी कोई जिम्मेदारी अपने समाज के प्रति नहीं बनती है। यह बात सिर्फ दलित समाज के लिए ही नहीं है। इसमें प्रशासन की भी बहुत बड़ी कमजोरी है कि वे दलितों की एफआईआर नहीं लिखते हैं उन्हें धमका कर भगा दिया जाता है। कलेक्टर को शिकायत करने पर भी कार्रवाई नहीं होती है तो फिर काहें का लोकतंत्र है यह तो वही जमींदारी वाली प्रथा है जहां जिसके पास ताकत होती है वही अपना हुकम चलाता है और गरीब, असहाय लोगों पर अपना जूल्म तब तक करते रहते हैं जब तक जूल्म की इंतेहा ना हो जाए। पुलिस और प्रशासन ने इन दलितों की भूख हड़ताल पर बैठने के बाद कोई सूध नहीं ली है अगर यह आन्दोलन ज्यादा चला और ज्यादा लोगों तक पहुंचा तो कहीं प्रशासन के गले की फांस न बन जाए इसलिए प्रशासन और पुलिस को चाहिए की आने वाली किसी भी अप्रिय परिस्थितियों से बचने के लिए तुरन्त इनकी समस्याओं को सुनकर उसका समाधान करने की कोशिश करे।

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