जयपुर। राजस्थान सरकार से रियायती दरों पर जमीनें लेकर प्रदेश के मेडिकल कॉलेज और यूनिर्वसिटी सरकार को ही धोखा देने में लगे हैं। सरकार मेडिकल कॉलेज और यूनिर्वसिटी को कई नियम-शर्तों के तहत रियायती दर पर जमीनें देती हैं। इनमें से एक शर्त यह रहती हैं कि कुछ सीटें निर्धन और जरुरतमंद योग्य छात्रों से भरी जाएंगी, लेकिन अधिकांश मेडिकल कॉलेज व शिक्षण संस्थान इन नियम-शर्तों की पालना नहीं कर रहे हैं। राजस्थान की एक नामी मेडिकल कॉलेज गीतांजलि मेडिकल कॉलेज उदयपुर भी ऐसा ही काला कारनामा कर रही है। जब से कॉलेज शुरु हुई है, तब से एक भी गरीब व जरुरतमंद छात्र को राज्य सरकार के तय नियम-शर्तों के तहत एडमिशन नहीं दिया, बल्कि उन सीटों को एनआरआई और धनाढ्य छात्रों को आवंटित कर दी। इससे सरकार को तो भारी नुकसान हुआ है, वहीं गरीब छात्रों के लिए तय सीटों को धनाढ्य वर्ग के छात्रों को आवंटित करके मेडिकल कॉलेज ने करोड़ों रुपए का मुनाफा कमाया है। बताया जाता है कि गीतांजलि मेडिकल कॉलेज ने सरकार की आवंटित 108 सीटों पर दूसरे छात्रों को प्रवेश दिए हैं। एक करोड़ रुपए प्रति सीटें के हिसाब से छात्रों से डोनेशन फीस लेने के आरोप लगते रहे हैं। जयपुर के एडवोकेट ए.के.जैन ने भी तय नियम-शर्तों की पालना नहीं करने पर गीतांजलि मेडिकल कॉलेज के सीएमडी जे.पी.अग्रवाल के साथ चिकित्सा शिक्षा के सचिव व निदेशक के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में शिकायत दी है। जैन के मुताबिक, डीजीपी एसीबी को दी गई शिकायत पर एसीबी ने परिवाद दर्ज कर लिया है। मामले की जांच एसीबी के आईजी वी.के.सिंह के निर्देशन में हो रही है। एडवोकेट जैन ने शिकायत में बताया है कि एक दशक पहले वर्ष 2005-06 में राज्य सरकार ने उदयपुर के मनवा खेडा में एकड राजकीय भूमि मात्र 35 फीसदी डीएलसी दर पर गीतांजलि मेडिकल एजुकेशन को दी थी। भूमि आवंटन नियम-शर्तें के मुताबिक मेडिकल कोटे की तय सीटों में से 3 सीटें यूआईटी उदयपुर और पांच फीसदी सीटें राज्य सरकार द्वारा निर्देशित छात्रों से भरी जानी थी। इस नियम-शर्त की पालना नहीं किए जाने पर जमीन आवंटन रद्द होने और निर्माण बिना क्षतिपूर्ति दिए सरकार द्वारा कब्जा किए जाने के प्रावधान हैं। जब से मेडिकल कॉलेज शुरु हुआ है, तभी से नियम-शर्तों के मुताबिक आठ फीसदी सीटें यूआईटी और राज्य सरकार द्वारा भरनी थी। लेकिन इन सीटों पर मेडिकल कॉलेज द्वारा ही छात्रों को एडमिशन देते रहे। वो भी मोटी डोनेशन फीस लेकर। जैन ने आरोप लगाया है कि डोनेशन लेकर एक-एक सीट एक करोड में दी गई। इससे राज्य सरकार और यूआईटी को तो नुकसान हुआ है, वहीं योग्य, जरुरतमंद व गरीब बच्चे प्रवेश से रह गए। तय सीटों पर प्रवेश के लिए यूआईटी व सरकार ने कई बार पत्र भी गीतांजलि मेडिकल कॉलेज को लिखे, लेकिन कॉलेज समूह ने इन पत्रों पर गंभीरता नहीं दिखाई। सरकार, जिला कलक्टर उदयपुर और यूआईटी चेयरमैन व सचिव, मेडिकल एजुकेशन सचिव ने भी इस बारे में जानकारी होने पर ना तो जमीन आवंटन रद्द किया और ना ही मेडिकल कॉलेज के खिलाफ कोई कार्रवाई की। बताया जाता है कि मेडिकल कॉलेज के इस धोखाधड़ी में मेडिकल एजुकेशन विभाग, यूआईटी प्रशासन की भी मिलीभगत रही है, जिसके चलते एक दशक से लम्बे समय से गीतांजलि मेडिकल कॉलेज मनमानी तरीके से सरकार द्वारा तय सीटों पर प्रवेश देता रहा और अपनी जेबें भरता रहा। शिकायत में एडवोकेट ए.के.जैन ने इस मामले में गीतांजलि मेडिकल कॉलेज के संचालक जे.पी.अग्रवाल समेत अन्य निदेशकों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कर जमीन आवंटन रद्द करने की मांग की है, साथ ही यूआईटी, मेडिकल एजुकेशन विभाग के अफसरों की लिप्तता की जांच कर दोषी पर कार्रवाई की गुहार की है।

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