जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नोटबंदी को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सवाल किया है कि वे यह क्यों नहीं बताते कि उन्होंने पिछला चुनाव कालेधन से लड़ा था या सफेद धन से जीत कर प्रधानमंत्री बने थे। सच्चाई बताने में कतरा क्यों रहे है? देश के लोग इस सच्चाई को जानना चाहते है। गहलोत ने आज यहां मीडिया कर्मियों से बातचीत करते हुए कहा कि यह सभी जानते है कि चाहे कोई किसी भी राजनैतिक दल का व्यक्ति हो, नगर पार्षद, विधायक या सांसद का चुनाव लड़ता है, उसकी शुरूआत चंदे के पैसों से होती है। यहीं से भ्रष्टाचार शुरू हो जाता है, ऐसे में कालेधन को समाप्त कर देने जैसी बातें हिपोक्रैसी के सिवाय कुछ नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कालेधन को समाप्त करने का उद्देश्य अच्छा हो सकता है मगर बिना तैयारी से उठाये गये इसे कदम से आज किसान, मजदूर एवं आम नागरिक दुःखी है, क्योंकि अपना पैसा निकालने के लिए उसे घण्टों लाईन में लगना होता है, फिर भी बैंक से पैसा नहीं मिलना दुर्भाग्य की बात है। अब तो लोगों का विश्वास करैंसी से भी और बैंकों से भी उठता जा रहा है, पता नहीं सरकार कब क्या फैसला कर दें। गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री अब गरीबों के लिए बड़ी-बड़ी बातें बोल रहें है। इतिहास गवाह है कि भारतीय जनता पार्टी ने कभी भी गरीबों, मजदूरों और किसानों की परवाह नहीं की। यह पार्टी बड़े-बड़े उद्योगपतियों एवं व्यापारियों की परवाह करती आयी है। इनके बड़े-बड़े जुमलों पर उन्होंने कहा कि यह वक्त बतायेंगा कि स्थिति क्या बनती है?
गहलोत ने कहा कि राजनैतिक चंदा जो कालेधन की जननी है, उस पर कोई चर्चा नहीं करना चाहता है दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं पुनः कहना चाहता हूं कि मेरी दृष्टि में इस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चाहिए कि सभी राजनैतिक दलों के नेताओं से चर्चा कर, ऐसे नतीजों पर पहुंचना चाहिए, जिस से कालाधन वे भ्रष्टाचार पर पूरी तरह अंकुश लग सके।
एक सवाल पर गहलोत ने कहा कि नोटबंदी की घोषणा के बाद सरकार ने सौ से अधिक नये-नये फरमान जारी कर दिये, जो बैंक अधिकारियों को याद भी नहीं है, जो लागू भी नहीं हो पाते हैं। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के कारण किसी पूंजीपति या व्यापारी को कोई झटका लगा हो, ऐसा लगता नहीं है क्योंकि ऐसे किसी व्यक्ति के चहरे पर कोई शिकन दिखाई नहीं देती। सरकार अब नयी-नयी बातें कह रही है कि घरों में कितना सोना पड़ा हुआ, उसकी हम जांच करेंगे और जप्त करेंगे। इसको लेकर घर-घर में विशेषरूप से महिलाओं में चिंता है, क्योंकि हर घर में पुश्तैनी सोना भी है। लोगों ने अपना खर्च कम करके बड़ी मुश्किल से दुःख दर्द में काम में लेने के लिए यह सोना जमा किया है। इसकी जप्ती की बात करने से ऐसा लगता है कि अब कानून का राज नहीं रहा।