नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय से कहा कि एंबी वैली की नीलामी रोकने के लिए वह सेबी के पास 1,500 करोड़ रुपये जमा कराए। सहारा समूह की दो कंपनियों द्वारा निवेशकों से लिए गए 24,000 करोड़ रुपये की वापसी के लिए उसे सेबी को कुल 24,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। शीर्ष न्यायालय के न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी की पीठ ने रॉय को कहा कि वे उनके सामने बाकी की राशि के 18 महीनों में भुगतान के लिए, जैसा कि उन्होंने स्वयं मांग की थी, ठोस योजना लेकर आने को कहा। हालांकि अदालत ने बम्बई उच्च न्यायालय के आधिकारिक लिक्विडेटर विनोद शर्मा द्वारा एंबी वैली की नीलामी के लिए बोली आमंत्रित करने के लिए निविदाएं आमंत्रित करने के लिए प्रस्तुत सभी नियमों और शर्तों को मंजूरी दे दी, अदालत ने कहा कि अगर सहारा सात सितंबर तक सहारा 1,500 करोड़ रुपये का भुगतान करती है और बाकी के भुगतान को लेकर ठोस योजना प्रस्तुत करती है तो एंबी वैली की नीलामी की प्रक्रिया को रोक दी जाएगी। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 11 सितंबर तय की है। सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 2007 और 2008 में वैकल्पिक रूप से पूरी तरह से परिवर्तनीय डिबेंचर के माध्यम से आम निवेशकों से 24,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। शीर्ष अदालत ने 31 अगस्त, 2012 को दिए गए अपने आदेश में सहारा को 15 फीसदी ब्याज के साथ इस रकम को लौटाने को कहा था।

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