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नई दिल्ली. चुनाव आयोग द्वारा 11 और 12 जनवरी को सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों का दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इन दो दिनों के दौरान आगामी आम चुनाव 2019 से पहले राज्यों की मतदान तैयारियों की व्यापक समीक्षा की गई। चुनाव आयोग ने मुख्‍य तौर पर निर्वाचन रोल की प्रामाणिकता, चुनाव के लिए सावधानीपूर्वक योजना बनाने, ईवीएम एवं वीवीपीएटी मूल्यांकन और प्रशिक्षण एवं व्यापक मतदाता आउटरीच पर जोर दिया।

मुख्‍य निर्वाचन अधिकारियों को संबोधित करते हुए भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने फिलहाल संशोधन की प्रक्रिया में जो मतदाता सूची हैं उन्‍हें आगामी आम चुनाव में उपयोग के लिए अंतिम रूप देने पर जोर दिया। इसलिए इस विशेष संशोधन कर अतिरिक्त महत्व है और मतदान सूची की शुद्धता अवश्‍य सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सभी मतदाताओं को समय पर पंजीकृत करने का हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने मतदाताओं के लिए 1950 हेल्पलाइन के महत्व और मतदाता सूची में अपना नाम खोजने, ईपीआईसी स्थिति जानने, चुनाव मशीनरी से जुड़ने और अपने लोकतांत्रिक अधिकार के इस्‍तेमाल में फर्स्‍ट पॉइंट ऑफ केयर के रूप में इसकी भूमिका की पुष्टि की। उन्होंने सभी राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को 1950 हेल्पलाइन के लिए जल्द से जल्द प्रणाली स्थापित करने का निर्देश दिया।

अरोड़ा ने सभी मतदान केंद्रों में निर्धारित न्यूनतम सुविधाएं प्रदान करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने राज्‍य निर्वाचन अधिकारियों को बूथ स्तर, जिला स्तर और राज्य स्तर की योजनाएं तैयार करने और चुनाव के संचालन के लिए आवश्यक सभी संसाधनों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने का निर्देश दिया। राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को अपनी ईवीएम/ वीवीपीएटी आवश्यकताओं का आकलन अवश्‍य करना चाहिए और प्रथम स्तर की जांच के लिए निर्धारित समय-सीमा का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने मतदाताओं के साथ-साथ मतदान अधिकारियों के प्रशिक्षण के दौरान ईवीएम और वीवीपीएटी के व्‍यापक अनुभव पर जोर दिया क्योंकि इससे शिकायतों को कम करने में मदद मिलती है और हितधारकों के बीच विश्वास भी बढ़ता है।

चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने मुख्‍य निर्वाचन अधिकारियों को दिए अपने संबोधन में इस निर्णायक मोड़ पर मतदाता सूची की शुद्धता के महत्व को दोहराया। उन्होंने कहा कि देश में एक और निर्दोष चुनाव कराने के लिए पूरी चुनाव मशीनरी को अब कमर कसनी चाहिए। इस अत्‍यंत कठिन कार्य को पूरा करने के लिए एक विस्तृत योजना बनाने की प्रक्रिया और राज्यों में मुख्‍य निर्वाचन अधिकारियों और जिलों में जिला निर्वाचन अधिकारियों को नेतृत्व की भूमिका निभानी होती है। उन्होंने प्रत्येक राज्य को हरेक मतदाता तक पहुंचने और दिव्‍यांग जनों की सुविधा के लिए एक अभिनव तंत्र विकसित करने का सुझाव दिया। उन्होंने राज्यों में व्यय निगरानी तंत्र को बेहतर बनाने के लिए सीमावर्ती राज्यों के साथ-साथ अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय पर भी जोर दिया।
इस दो दिवसीय सम्मेलन के जरिये चुनाव के संचालन के प्रत्येक पहलू पर विस्तार से गौर किया गया और तैयारियों पर चर्चा की गई। इनमें पर्याप्त बजट की उपलब्धता, जनशक्ति, संसाधन, एसवीईईपी, योजना, मतदान केंद्र की व्यवस्था और आईटी अनुप्रयोगों जैसे सुविधा, सुगम और सी-विजिल आदि मापदंडों में से प्रत्येक पर राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों का मूल्यांकन किया गया।
हाल में जिन पांच राज्यों- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम, तेलंगाना और राजस्थान- में विधानसभा चुनाव हुए थे उन्‍होंने अपने अनुभव और सीख पर एक प्रस्तुति दी। छत्तीसगढ़ ने अपने मतदान कर्मियों को ट्रैक करने के लिए एक ऐप विकसित किया था जिसने इस प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया। मध्य प्रदेश ने विकलांग लोगों, गर्भवती महिलाओं और शिशुओं वाली महिलाओं के लिए बिना कतार के मतदान सुनिश्चित करने के लिए एक ऐप तैयार किया था। इन पांच राज्यों ने प्रदर्शित किया कि मतदाता अनुभव को बेहतर के लिए किस प्रकार प्रौद्योगिकी का फायदा उठाया जा सकता है। साथ ही इससे चुनाव अधिकारियों को तत्‍काल एक महत्वपूर्ण डेटा मिल सकता है।
मिजोरम ने आरंभिक समस्याओं के बावजूद चुनाव के सफल आयोजन पर प्रकाश डाला। मिजोरम के लिए नागरिक समाजिक संगठनों के साथ संपर्क स्‍थापित करने, संवाद बहाल करने और त्रिपुरा राज्य के सहयोग से ब्रू समुदाय के लिए मतदान केंद्रों की स्थापना एक उल्लेखनीय उपलब्धि थी।
राजस्थान और तेलंगाना दोनों राज्‍यों ने स्थानीय सांस्कृतिक प्रथाओं को शामिल करते हुए अभिनव अभियान के कई उदाहरणों का हवाला दिया। इनसे इन राज्यों में उल्‍लेखनीय बदलाव दिखा।
राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के अन्य सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने आगामी लोकसभा चुनाव 2019 के लिए अपनी तैयारियों के प्रमुख क्षेत्रों पर आयोग को व्यापक प्रस्तुतियां दीं।

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