Supreme Court restrains ban on gravel mining in the state without environmental clearance

जयपुर। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय से पर्यावरण स्वीकृति लिए बिना अदालत के पूर्व आदेश से 82 एलओआई होल्डर द्वारा किए जा रहे बजरी खनन पर गुरूवार को तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। साथ ही अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वह चार सप्ताह में नदियों को सर्वे करवा कर शपथ पत्र सहित अध्ययन रिपोर्ट पेश करें कि नदियों में नई बजरी कितनी आ रही है और उनसे कितनी बजरी निकाली जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश मदन बी लोकुर व दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने यह अंतरिम निर्देश नवीन शर्मा व राज्य सरकार और एक गैर सरकारी संगठन की एसएलपी पर सुनवाई करते हुए दिया। सुनवाई के दौरान प्रार्थी एनजीओ ने कहा कि लीज धारकों ने अभी तक भी पर्यावरण स्वीकृति नहीं ली है और उसके बिना ही प्रदेश में बजरी का खनन किया जा रहा है। इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि चार साल हो गए और अभी तक भी पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी नही ली है। जवाब में लीज होल्डर ने कहा कि उन्होंने पर्यावरण स्वीकृति के लिए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय में आवेदन कर रखा है और उनका आवेदन लंबित है। ऐसे में पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिलने के लिए वे जिम्मेदार नहीं है। इस पर अदालत ने कहा कि यह भयभीत करने वाला है कि राजस्थान मेंं बजरी खनन को लेकर क्या हो रहा है और बिना पर्यावरण की मंजूरी लिए लीज धारकों द्वारा बजरी का खनन किया जा रहा है। राज्य सरकार पर भी गंभीर आरोप है कि वह बजरी खनन करने वालों से मिलीभगत कर बजरी का खनन करवा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने बजरी खनन पर रोक नहीं लगाने के संबंध में दी गई दलीलों को खारिज करते हुए प्रदेश में बिना पर्यावरण स्वीकृति के हो रहे बजरी खनन पर रोक लगा दी।

25 नवंबर 2014 को दी थी लीज धारकों को अस्थाई बजरी खनन की मंजूरी
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश में बजरी खनन पर लगी रोक हटाते हुए उन 82 लीज धारकों को अस्थाई तौर पर बजरी खनन की अनुमति दी थी। जिन्होंने पर्यावरण स्वीकृति के लिए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय में आवेदन कर रखा है। खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार व आॅल राजस्थान बजरी ट्रक आॅपरेटर्स वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष नवीन शर्मा के प्रार्थना पत्र पर दिया था। गौरतलब है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने 21 अक्टूबर 2013 के आदेश से राज्य सरकार को पुरानी प्रणाली पर बजरी खनन की अनुमति की अवधि बढ़ाने से इंकार करते हुए कहा था कि सरकार चाहे तो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में बजरी खनन पर रोक के आदेश में संशोधन के लिए अर्जी दायर कर सकती है।

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