– चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ को हालात संभालने की जिम्मेदारी
कोलंबो. श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश छोड़कर मालदीव भाग गए हैं। राजपक्षे के देश छोड़ने से श्रीलंकाइयों का गुस्सा भड़क गया है। राजधानी कोलंबो की सड़कों पर प्रदर्शनकारी जमकर उत्पात कर रहे हैं। लोगों के उग्र विरोध को देखते हुए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने इमरजेंसी का ऐलान किया है। कई जगहों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों में हिंसक झड़प हुई है। विक्रमसिंघे ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, ट्राइ-फोर्सेज कमांडरों और इंस्पेक्टर जनरल पुलिस को मौजूदा हालात संभालने की जिम्मेदारी दी है। वहीं, प्रदर्शन के दौरान आंसू गैस से घायल एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई है। अब तक 30 से ज्यादा प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं। इनपर हेलिकॉप्टर से नजर रखी जा रही है।
हजारों प्रदर्शनकारी पीएम रानिल विक्रमसिंघे के घर पर कब्जा कर चुके हैं। अब संसद भवन पर भी जनता के कब्जे की आशंका है। ऐसे में श्रीलंका में एक बार फिर इमरजेंसी लगा दी गई है। इस बीच कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने सेना और पुलिस को प्रदर्शनकारियों से निपटने और देश में लॉ एंड आर्डर बनाए रखने के लिए सेना और पुलिस को खुली छूट दे दी है। यानी अब देश की फौज और पुलिस के अधिकार बढ़ गए हैं और जनता के घट गए हैं। श्रीलंकाई संविधान के आर्टिकल 155 के तहत इमरजेंसी की घोषणा करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास ही होता है। चूंकि श्रीलंका में राष्ट्रपति देश छोड़कर भाग चुके हैं, इसलिए प्रधानमंत्री को कार्यवाहक राष्ट्रपति बना दिया गया है। उन्होंने ही इस बार इमरजेंसी की घोषणा की है। 1947 के सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश में इस तरह इमरजेंसी लागू करने को लेकर कानूनी प्रक्रिया है।

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