जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस विधायकों के सामूहिक इस्तीफे मंजूर करने की मांग को लेकर बीजेपी ने विधानसभा अध्यक्ष और प्रदेश कांग्रेस सरकार पर प्रेशर बनाना शुरू कर दिया है। कांग्रेस सरकार ने क्लेम किया है कि 92 विधायकों ने स्पीकर को इस्तीफे सौंपे हैं। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा सरकार या तो बताए कि यह पाखंड है। अगर हकीकत है तो स्पीकर से इस बात के लिए अपील करे कि वह इस्तीफे मंजूर करें। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और बीजेपी विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा- कांग्रेस सरकार अल्पमत में है। 102 में से 92 इस्तीफे होने के बाद विधानसभा अध्यक्षों को संविधान और नियमों के अनुसार उन्हें स्वीकार करना चाहिए। बीजेपी मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार है। राठौड़ बोले इस मामले को लेकर बीजेपी जल्द राज्यपाल से भी मुलाकात करेगी।
– सीएम अशोक गहलोत जा रहे हैं…
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा, विधायकों ने इस्तीफे दे दिए, इसमें भी बड़ा विरोधाभास है। इस्तीफे दे दिए तो उन्हें स्वीकार करना चाहिए। क्योंकि उन विधायकों की कोई मंशा रही होगी। अच्छी, भली-बुरी, राजनीतिक या जो भी व्यक्तिगत तौर पर हो, लेकिन मंशा तो थी। ताज्जुब की बात है कांग्रेस के मंत्री दफ्तरों को भी एंटरटेन कर रहे हैं। बंगलों में भी काबिज हैं। उन्हें सुरक्षा भी मिली हुई है। वह सरकार की गाड़ियां भी तोड़ रहे हैं। तबादलों की सूचियां भी जारी कर रहे हैं। तो यह कौन सा इस्तीफा है। सरकार या तो बताए कि यह पाखण्ड है, अगर हकीकत है तो स्पीकर से इस बात के लिए अपील करनी चाहिए कि वह उनके इस्तीफे मंजूर करें। सतीश पूनिया ने कहा, 2018 में जब से कांग्रेस सरकार बनी है, तब ही से बीजेपी मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार है। क्योंकि इस सरकार को जल्दी चले जाना चाहिए था, जितनी देरी हुई उतना ही राजस्थान का अहित हुआ है। किसानों से वादाखिलाफी की गई। बेरोजगारों का अहित हुआ, उनके सपने तोड़े। अपराध के आंकड़ों ने खासकर महिलाओं को शर्मसार किया है। करप्शन के हालात ये हैं कि जीरो टोलरेंस की बात करने वाली सरकार इस वक्त भ्रष्टाचार में पीक पर है। सीएम अशोक गहलोत के दिल्ली से जयपुर लौटते ही ग्रामीण ओलम्पिक खेलों में पहुंचने, विकास कार्यों और शिलान्यासों के प्रोग्राम करने, इंवेस्ट राजस्थान समिट में जुटने पर निशाना साधते हुए पूनिया बोले ये आचरण ऐसा है जैसे चोर सामान समेटने की फिराक में रहता है। सीएम को खेल भी अभी दिख रहे हैं। समिट भी अभी दिख रहा है और उदारता भी अभी दिख रही है, इसका मतलब है कि वो जा रहे हैं।
बीजेपी के सीनियर लीडर और विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह ने कहा विधायकों के सामूहिक इस्तीफे के बाद विधानसभाध्यक्ष डॉ सीपी जोशी को उन्हें मंजूर करना चाहिए। जब 90 फीसदी विधायक और मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है, तो मुख्यमंत्री आपात बैठक बुलाकर विधानसभा भंग करने की घोषणा करें। क्योंकि इस्तीफा देने के बाद से ही सरकार अल्पमत में मानी जा रही है। अब गेंद विधानसभा अध्यक्ष के पाले में है। कांग्रेस विधायकों ने उपस्थित होकर उन्हें त्यागपत्र सौंपे हैं। विधानसभा के नियम और प्रक्रियाओं में साफ लिखा है कि अगर खुद विधानसभा सदस्य मौजूद रहकर परफॉर्मा में त्याग-पत्र देता है, तो विधानसभाध्यक्ष को उसे स्वीकार करना चाहिए। इस्तीफों के बावजूद मंत्री-विधायक तबादलों से लेकर सरकारी कार्यक्रमों में लगे हुए हैं। जो उचित नहीं है। हम विधानसभा अध्यक्ष से मांग करेंगे कि इस मामले में निर्णय करें। इस्तीफों को पेंडिंग नहीं रखा जाए। सरकार अल्पमत में है। जिस दिन विधानसभाध्यक्ष अपने कर्तव्य के मुताबिक उन इस्तीफों को स्वीकार करेंगे। राज्यपाल से आग्रह कर कार्रवाई की मांग भी करेगी। हम सही समय आने पर पत्ते खोलेंगे। सदन काे भंग करने की सिफारिश करने का अधिकार मंत्रिमंडल के पास है। दुर्भाग्य की बात है राजस्थान की जनता ने यह सोचकर कांग्रेस को शासन नहीं दिया था कि इस तरह की सिर फुटव्वल होगी।
– प्रभारी अरुण सिंह ने सियासी घटनाक्रम को लेकर रिपोर्ट बताई
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को राजस्थान के प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने मौजूदा सियासी घटनाक्रम को लेकर पूरी रिपोर्ट बताई है। राजस्थान प्रदेश नेतृत्व से मिला फीडबैक पार्टी तक अरुण सिंह ने पहुंचाया है। बीजेपी नेतृत्व ने फिलहाल राजस्थान में पार्टी पदाधिकारियों और विधायकों को वेट एंड वॉच करने को कहा है। पायलट गुट के विधायकों की फिर से बगावत हो सकती है, इस उम्मीद से भी बीजेपी देख रही है। विवाद बढ़ने पर गहलोत खेमे के कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे मंजूर होने की स्थिति में बीजेपी का क्या स्टैंड रहेगा। इस पर पार्टी ने स्ट्रैटेजी बनानी शुरू कर दी है।

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