sindeeket ghotaale

संजय सैनी
जयपुर। सिंडीकेट बैंक घोटाले में आरोपियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। इस घोटाले में बैंक अधिकारियों से गहन पूछताछ नहीं की गई और ना ही फर्जी तरीके से दिए गए लोन राशि के बारे में पडताल की गई है। नामजद आरोपी अफसर आज भी बैंकों में कार्य रहे हैं। कई सालों से अंदरखाने हो रहे इस घोटाले का पर्दाफाश मार्च 2016 में हुआ। सिंडीकेट बैंक को एक हजार करोड़ रूपए का नुकसान पहुंचाने में बैंक के छह बड़े अफसरों को सीबीआई ने आरोपी बनाया है। आरोपी अफसरों पर ठोस कार्रवाई नहीं होने से इनके हौंसले बुलंद है। साथ ही इन पूरे घोटाले में जयपुर के पूर्व पार्षद, व्यापारी, कोलकाता का जाना माना बिजनेसमैन, इंदौर, बैंगलुरू के रियल स्टेट और स्टाक मार्केट के व्यापारी भी शामिल है। आरोपी बैंक अधिकारियों में एक अधिकारी संतोष कुमार गुप्ता रिटायर हो चुके हैं जबकि सतीश कुमार गोयल जनरल मैनेजर, फील्ड जनरल मैनेजर आफिस नई दिल्ली, संजीव कुमार डीजीएम रीजनल आफिस जयपुर, देशराज मीणा, चीफ मैनेजर एमआई रोड ब्रांच, आदर्श मनचंदा, एजीएम जयपुर, मालवीय नगर ब्रांच, अवधेश तिवारी एजीएम बचे हुए हैं। इन सभी के खिलाफ धोखाधड़ी, षडयंत्रपूर्वक, फर्जी कागजात बनाने पर भारतीय दंड संहिता कीधारा 120 बी, 409, 420, 467, 468, 471 समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमें दर्ज हैं। चार्जशीट में भी इनके नाम है।

कोलकाता, मुंबई, इंदौर के व्यापारी भी शामिल
इस हजार करोड़ के घोटाले की प्रारंभिक जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि इन फर्जी खातों से इंदौर, कोलकता, मुंबई और बैंगलुरू की 29 ब्रांचों में लेनदेन हुआ। करोड़ों रुपए की राशि खातों से निकाली गई। उन्हें प्रापर्टी, शेयर बाजार, व संपत्ति खरीदने में निवेश किया गया है। कोलकाता और बैंगलुरु, इंदौर, जयपुर के कुछ खास व्यापारियों पर सीबीआई की निगाह है तो है लेकिन किन्हीं कारणों से जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है। सिंडीकेट बैंक घोटाले के आरोपियों से कमाई करने में बैंक की उदयपुर शाखा के तत्कालीन चीफ मैनेजर संतोष कुमार गुप्ता ने तो सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। गुप्ता ने घोटाले के आरोपी भरत बम्ब, शंकर खंडेलवाल व अन्य लोगों से अपनी पत्नी ऊषा के खाते में 5.7 करोड़ रुपए अवैध तरीके से प्राप्त किए। पत्नी के नाम से यह राशि कपटपूर्ण तरीके से प्राप्त की। ऊषा के नाम से बैंक आॅफ महाराष्ट्र की जयपुर स्थित झोटवाड़ा शाखा यूको बैंक की बनीपार्क शाखा में 2011 से 2014 तक यह राशि जमा हुई।

फ्लैटों की खरीद की, एफडीआर में निवेश किया
संतोष कुमार गुप्ता ने 5.7 करोड़ रुपए के एक मामले में तो शंकर खंडेलवाल ने 36 लाख रुपए ऊषा गुप्ता और संतोष कुमार गुप्ता के खाते में ट्रांसफर किए। इस खाते से गुप्ता ने शंकर खंडेलवाल की गुमान इंटरसिटी में फ्लैट खरीदने के लिए 63 लाख, 35 हजार रुपए का भुगतान किया। उषा गुप्ता ने इस राशि को अपनी आयकर विवरणिका में नहीं दर्शाया। संतोष कुमार गुप्ता ने अपने पुत्र संदीप गुप्ता के साथ 60 लाख 80 हजार रुपए का फ्लैट रंगोली ग्रीन्स वैशालीनगर जयपुर में फ्लैट बुक कराया। गुप्ता के घर की जब तलाशी ली गई तो बैंक आफ महाराष्ट्र झोटवाडा शाखा में 22 लाख रुपए की एफडी जब्त की।

पता लगा तो सेवानिवृति ले ली
सीबीआई को जांच में पता लगा कि घोटाले के मुख्य आरोपी भरत बम्ब, शंकर खंडेलवाल, विपुल कौशिक, एसके गुप्ता और ऊषा गुप्ता ने आपस में आपराधिक षडयंत्र किया। एसके गुप्ता ने जानबूझ कर फर्जी दस्तावेजों से मौलिक दस्तावेज बताया। सिंडीकेट बैंक को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचाया। गुप्ता ने लोकसेवक होते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आपराधिक दुराचार किया। बैंक प्रबंधन को पता चला तो उन्हें 30 जून 12 को सेवानिवृत कर दिया गया।

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