जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि पिछले ढाई वर्ष के दौरान राज्य सरकार ने प्रदेश में निवेश बढ़ाने के लिए राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना (रिप्स-2019), एमएसएमई एक्ट-2019, राजस्थान इंडस्टि्रयल डवलपमेंट पॉलिसी-2019, वन स्टॉप शॉप प्रणाली जैसी कई महत्वपूर्ण नीतियां एवं कार्यक्रम लागू किए हैं। इन नीतिगत सुधारों से राजस्थान में उद्यमिता और निवेश के प्रति बेहद सकारात्मक माहौल बना है। उन्होंने निर्देश दिए कि इन योजनाओं और नीतियों की अधिकाधिक जानकारी अन्तरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय निवेशकों तक पहुंचाएं, ताकि प्रदेश में निवेश को आकर्षित किया जा सके।
गहलोत गुरूवार को मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उद्योग विभाग की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने उद्योग सहित सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि प्रदेश में उद्यमियों और निवेशकों को विभिन्न नीतियों के तहत राज्य सरकार का सहयोग और सुविधाएं मिलने में कोई देरी एवं परेशानी नहीं हो। गहलोत ने प्रदेश में हस्तशिल्प उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए नई नीति तैयार करने के निर्देश दिए।
 मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आगामी जनवरी-फरवरी माह में प्रदेश में एक निवेशक सम्मेलन आयोजित करने की तैयारी की जाए। यह इंवेस्टर्स समिट निवेशकों के समक्ष राज्य सरकार द्वारा किए गए नीतिगत सुधारों की शो-केसिंग करने के साथ-साथ उन्हें प्रदेश में मिल रही सुविधाओं की जानकारी देने का महत्वपूर्ण अवसर होगा।
गहलोत ने रीको के माध्यम से प्रदेश में उपखण्ड स्तर पर स्थानीय विशेषताओं के अनुरूप औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की योजना को तेजी से आगे बढ़ाने के निर्देश दिए। इसके लिए विशेष रूप से ऎसे क्षेत्रों पर फोकस किया जाए, जो अब तक विकास में पिछड़े माने जाते हैं। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से स्थानीय स्तर पर लघु एवं मध्यम श्रेणी के उद्योग लगेंगे और बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योगों तथा सामाजिक क्षेत्र के लिए ऋण सुविधा प्रदान करने वाली राज्य सरकार की ऋण वितरण एजेंसियों राजस्थान वित्त निगम, अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम तथा अनुसूचित जाति, जनजाति वित्त एवं विकास सहकारी निगम आदि की भूमिका में समय के साथ बदलाव आया है। ऎसे में इन संस्थाओं को अपनी ऋण योजनाओं को अधिक तर्कसंगत एवं आकर्षक बनाने की आवश्यकता है, ताकि स्वरोजगार एवं उद्यम स्थापित करने के लिए लाभार्थियों को ऋण सुलभ हो सके।
बैठक में उद्योग मंत्री परसादीलाल मीणा ने कहा कि आने वाले दो साल में राज्य में करीब-करीब सभी उपखण्डों में रीको के औद्योगिक क्षेत्र स्थापित हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि उद्योग विभाग रीको की विस्तार परियोजना पर तेजी से काम कर रहा है। गत ढाई वषोर्ं में 16 नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए गए हैं। कोविड की विपरीत परिस्थितियाें के बावजूद इस वित्तीय वर्ष में 115 नए औद्योगिक क्षेत्रों के लोकार्पण और शिलान्यास किए जाएंगे।
शासन सचिव उद्योग आशुतोष एटी पेडनेकर ने विभाग की उपलब्धियों और भावी योजनाओं पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया।
उन्होंने बताया कि ईज ऑफ डूईंग बिजनेस की दिशा में आगे बढ़ते हुए राजस्थान ने उद्योगों के लिए कई तरह की अनिवार्य बाध्यताओं को आसान बनाया (मिनिमाइजिंग रेगुलेटरी कम्पलायंस एक्सरसाइज) है। अलग-अलग क्षेत्र के उद्योगों के लिए लगभग 2000 अनिवार्य बाध्यताओं को सुगम बनाया गया है। ईज ऑफ डूईंग बिजनेस की इस श्रेणी में राजस्थान ने देश में दूसरा स्थान हासिल किया है।
उन्होेंने बताया कि कोविड-19 की विषम परिस्थितियों के बावजूद वर्ष 2020-21 में राज्य का निर्यात 52,764 करोड़ रूपए का रहा। जो गत वर्ष की तुलना में 5.6 प्रतिशत अधिक था। यह तथ्य इस दृष्टि से और भी महत्वपूर्ण है कि इस अवधि में देश के कुल निर्यात में 2.3 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।

LEAVE A REPLY