raamandir mudda
Ayodhya, darmsabha

जयपुर। करीब ढाई दशक बाद फिर से अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा गरमाया हुआ है। रविवार को धर्मसभा रखी गई है, जिसमें भगवान श्रीराम का मंदिर बनाने को लेकर देशभर के साधु संत और राम मंदिर समर्थक राजनीतिक व सामाजिक संगठन के नेता एक जाजम पर आएंगे और राम मंदिर निर्माण को लेकर बड़ा फैसला लेंगे। धर्मसभा की जिम्मेदारी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पास है। पहली बार विहिप को इससे दूर रखा गया है।

राम मंदिर आंदोलन के अगुवा अशोक सिंघल और प्रवीण भाई तोगडिया के विहिप से निष्कासन के बाद आरएसएस ने राम मंदिर मसले पर आयोजित धर्मसभा की जिम्मेदारी खुद के पास रखी है। धर्मसभा के लिए देश के सभी मठों व आश्रमों के साधु-संत पहुंच गए है। आरएसएस प्रमुख मोहन राव भागवत, शिवसेना चीफ उद्वव ठाकरे समेत तमाम नेता व पदाधिकारी आ गए हैं। महाराष्ट्र से दस हजार से अधिक शिवसैनिक अयोध्या में आ चुके हैं। दो लाख से अधिक राम भक्त व साधु संतों के आगमन को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था के लिए करीब 70 हजार पुलिस बल तैनात किया गया है। कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों भक्तों ने सरयू तट पर स्नान किया।

धर्मसभा में राम मंदिर को लेकर साधु-संत बड़ा फैसला करेंगे, जिसमें केन्द्र सरकार को संसद में विधेयक लाकर राम मंदिर बनाने का प्रस्ताव भी लिया जा सकता है। संभावना है कि एक तारीख भी तय हो सकती है, जिसके बाद से राम मंदिर का निर्माण शुरु कर दिया जाए। बहुत से साधु-संत राम मंदिर निर्माण में देरी को देखते हुए नाराज है। सरकार को चेतावनी दे चुके हैं कि अगर राम मंदिर में देरी हुई तो फिर से बड़ा आंदोलन शुरु किया जाएगा।

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