जयपुर। राजपूत सभा अध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवाड़ा ने आज भाजपा की केन्द्र और प्रदेश सरकार को जमकर आड़े हाथों लिया। तथा राजपूत समाज से अपील की है कि अबकी बार भाजपा को सबक सिखाना है। उन्होंने कहा कि जसवंत सिंह जसोल को लोकसभा का टिकट नहीं दिया गया उनकी वरिष्ठता को दरकिनार कर दिया गया। वे सदमें हैं तथा तब से ही अस्वस्थ चल रहे हैं मगर किसी भी भाजपाई ने उनका हालचाल नहीं पूछा है। उन्होंने कहा राजमहल प्रकरण में भी सरकार के ईशारों पर प्रशासन ने क्या किया सबने देखा समाज के नेताओं की बेरूखी भी हमने देखी है। वहीं चतुर सिंह हत्याकाण्ड की जांच सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश करके अपने काम की इतिश्री कर ली। आज तक नहीं बताया गया है कि सीबीआई जांच होगी या नहीं। ऐसा ही सांवराद प्रकरण में भी देखने को मिला जहां आन्दोलन को विफल करने के लिए सरकार ने अपनी कूटनीति से जर्बदस्ती हिंसा का माहौल उत्पन्न कर दिया जिसमें समाज के लोगों को फसाया गया और जर्बदस्ती 2 लोगों की मौत हो गई। वहां गए लोगों की गाड़ियां पुलिस द्वारा तोड़ी गई, उनके सामान निकाल लिए गए, दस्तावेज गायब कर दिए गए।

आज भी कई गाड़ियां वहां खड़ी है। यह सब भाजपा द्वारा रचित नाटक था और कुछ नहीं वह राजपूत समाज को बदनाम करना चाहती है। काफी जदोजहद के बाद सरकार के कई नुमाईंदों के साथ बैठक में सरकार ने मांगे मानी जिसमें आनंदपाल एनकाउंटर की सीबीआई जांच, तथा अकारण जेल में बंद किए गए लोगों पर से मुकदमें वापस लेना आदि। मगर सरकार ने सीबीआई जांच की चिट्ठी भेजकर अपने काम की इतिश्री कर ली। और इसके अलावा बाकी की मांगो पर क्या कार्रवाई की गई अभी तक इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। इसके अलावा 15 जुलाई को आला अफसरों की अगुवाई में 400 पुलिस के जवानों ने राजपूत सभा भवन को घेर लिया जैसे यहां कोई आपराधिक गतिविधि को अंजाम दिया जा रहा हो, यह हमारे समाज का मंदिर है। यह समाचार, समाचार-पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित भी किया था। सरकार की मंशा थी कि कैसे राजपूत समाज की उज्जव छवि को धूमिल किया जाए। इसी प्रकार राजपूत सभा पर सर्विस टैक्स का छापा डलवाया गया जिसमें 3 करोड़ रुपए का नोटिस जारी करवा दिया गया। जबकि राजपूत सभा आयकर धारा 12एए के अन्तर्गत सर्विस टैक्स के दायरे में नहीं आता। अभी हाल ही भाजपा विधायक किर्ति कुमारी के उपचार में कोताही बरती गई जिसके चलते उनकी मौत हो गई।

यह कोताही इसलिए बरती गई क्योंकि वे राजपूत समाज से थी। उन्हें आनन-फानन में बिना सिनियर चिकित्सक के प्राईवेट अस्पताल में भेज दिया गया। हालांकि लोगों को दिखाने के लिए उनकी मौत के बाद सब घड़ियाली आंसू बहाने उनके गांव पहुंच गए। भाजपा की बेरूखी का आलम यह है कि इनके पास राजपूत समाज के प्रतिनिधि मण्डल से मिलने के लिए समय ही नहीं है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिलने का समय मांगा था मगर कोई जवाब नहीं आया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी समय मांगा मगर उन्होंने भी कोई जवाब नहीं दिया। यह हमारे अनादर का ठोस प्रमाण है। हमें देश का नागरिक ही नहीं सम­ाते तो भाजपा को वोट क्यों? किसान शहीद गजेन्द्र सिंह के दिल्ली किसान रैली में आत्मसर्ग पर अमित शाह, मुख्यमंत्री, अबके पंचायतीराज मंत्री व अरूण चतुर्वेदी आदी ने उसके घर जाकर परिवार को सहायता का आश्वासन दिया था। लेकिन आज तक कुछ नहीं दिया गया है। राजपूत समाज के विधायक भी अपने को राजा महाराजाओं से अधिक मान कर उपेक्षा दिखाते रहे हैं। समाज की खिल्ली उड़ाते रहे हैं। जिनकी समाज के लिए जबान नहीं खुलती। अब इनको भी आईना दिखाने का समय आ गया है। अगर ऐसा ही अपमानजनक अवहेलनापूर्ण इनका व्यवहार तो भाजपा को वोट क्यों?

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