Journalists arrested in protest against ordinance

जयपुर। राजस्थान की भाजपा सरकार की ओर से लोकसेवकों की भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतों पर प्राथमिकी या अनुसंधान से पहले सरकार द्वारा अभियोजन स्वीकृति मांगने संबंधी बिल का विरोध शुरू हो गया है। आज सोमवार को राजस्थान विधानसभा में इस बिल को लेकर खासा हंगामा भी हुआ। सदन के बाहर भी कांग्रेस ने बिल के विरोध में पैदल मार्च निकाला। सदन तक कांग्रेस विधायकों ने मार्च करके आए। सदन के अंदर बिल को लेकर वाकआउट किया। यहीं नहीं बिल के विरोध में प्रदेशव्यापारी संघर्ष का ऐलान किया है। इस बिल को काला कानून बताते हुए इसे निरस्त करवाने तक आंदोलन का संकल्प किया गया है। सत्र के दौरान भाजपा विधायक घनश्याम तिवाड़ी भी बिल के विरोध में उतर आए और विपक्ष के साथ वाकआउट किया। विधायक नरपत सिंह राजवी ने बिल को काला कानून बताया है। भाजपा विधायक दल की बैठक के दौरान इस बिल के प्रावधानों का विरोध किया है।

सदन में हंगामा, विपक्ष का वाकआउट
इस बिल के विरोध में जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष के सदस्यों ने बिल को काला कानून बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग उठाई। इस दौरान संसदीय मंत्री राजेन्द्र राठौड़ और कांग्रेस सदस्य गोविन्द सिंह डोटासरा, रमेश मीणा ने बीच तीखी बहस भी हुई। बाद में विपक्ष के सदस्य बिल के विरोध में वाकआउट कर गए। हंगामे के कारण कुछ समय तक कार्यवाही सुचारु नहीं हो पाई। बाद में शोकाभिव्यक्ति के दौरान विपक्षी सदस्य वापस सदन में पहुंचे और शोकाभिव्यक्ति में भाग लिया। रोचक बात यह रही कि भाजपा विधायक घनश्याम तिवाड़ी भी बिल के खिलाफ खुलकर बोले और विपक्ष के साथ सदन से वॉकआउट कर गए। उधर, इस बिल को राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका लगाकर चुनौती दी गई है। एडवोकेट भगवत गौड़ ने याचिका लगाई है। यह याचिका एडवोकेट अजय कुमार जैन ने दायर की है।

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