नयी दिल्ली.राजनीतिक दल के तौर पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का पंजीकरण रद्द करने की मांग के साथ दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गयी है। सुनवाई के लिये याचिका कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल एवं न्यायामूर्ति सी हरि शंकर की खंडपीठ के समक्ष आयी थी। याचिका में निर्वाचन आयोग के सितंबर 1989 के उस आदेश को रद्द करने की मांग की गयी थी कि जिसमें माकपा के पंजीकरण को मंजूरी दी गयी थी।

अदालत ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील के अनुरोध पर मामले में अगली सुनवाई के लिये 28 मार्च, 2018 का समय तय किया है। अदालत के समक्ष दायर याचिका में कहा गया कि निर्वाचन आयोग ने इसमें उठाये गये मुद्दों पर विचार किये बिना ही अर्जी खारिज कर दी थी। चुनावी पैनल के समक्ष याचिका में दावा किया गया था कि माकपा के दलीय संविधान में कानून के मुताबिक संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा का प्रावधान नहीं है।

खुद को कार्यकर्ता बताने वाले जोजो जोस की ओर से दायर याचिका में दलील दी गयी, ‘‘माकपा ने गलत तथ्यों, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा कर अपना पंजीकरण कराया।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि माकपा का मुख्य उद्देश्य असंवैधानिक था और इसका गठन गैरकानूनी उद्देश्य के लिये किया गया था।

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