phaid scham: maisars enaseesee meharabaanee paart-5: enaseesee maamale mein jhooth bol rahe hain seeee araban

जयपुर। जलदाय विभाग में मैसर्स एनसीसी कंपनी को डी-बार करने के मामले में मुख्य अभियंता शहरी आई.डी.खान न केवल एकदम सफेद झूठ बोल रहे हैं, बल्कि विभाग के प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र को भी गुमराह कर रहे हैं। मलसीसर रॉ वाटर रिजर्वायर (डिग्गी) टूटने के मामले में मैसर्स एनसीसी कंपनी को दोषी पाए जाने पर जलदाय विभाग प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र ने 31 मार्च, 2018 को ही कंपनी को डी-बार करने के लिए यूओ नोट जारी कर दिया था। उसी दिन मुख्य अभियंता स्पेशल प्रोजेक्ट की ओर से भी फर्म को डी-बार करने पर सहमति दे दी गई थी। इसी क्रम में अतिरिक्त मुख्य अभियंता प्रोजेक्ट चूरू द्वारा मुख्य अभियंता शहरी को 2 अप्रेल, 2018 को ही मैसर्स एनसीसी कंपनी को डी-बार करने की अनुंशसा भेज दी गई। जलदाय विभाग के मुख्य अभियंता शहरी आई.डी.खान द्वारा अनुंशषा मिलने पर 2 अप्रेल, 2018 को ही मैसर्स एनसीसी कंपनी को डी-बार करने का नोटिस भी जारी कर दिया गया। लेकिन इसके बाद सीई अरबन द्वारा इस मामले को पूरी तरह से दबा दिया गया। जनप्रहरी एक्सप्रेस द्वारा एनसीसी कंपनी को डी-बार नहीं करने का मामला उठाया गया तो सीई अरबन द्वारा मामले पर विभाग के प्रमुख शासन सचिव को गुमराह करते हुए गलत जानकारी दी गई। सीई अरबन ने बताया कि उन्हें एनसीसी कंपनी को डी-बार करने की अनुशंषा ही नहीं मिली। ऐसे में सवाल उठता है कि जब सीई अरबन आई.डी.खान को मैसर्स एनसीसी कंपनी को डी-बार करने की अनुशंषा ही नहीं मिली थी, तो फिर उन्होंने 2 अप्रेल, 2018 को किस आधार पर एनसीसी कंपनी को डी-बार करने का नोटिस जारी कर दिया। दूसरी ओर पूरे मामले का जनप्रहरी एक्सप्रेस द्वारा भंडाफोड करने के बाद सीई स्पेशल प्रोजेक्ट कार्यालय की ओर से एनसीसी कंपनी को डी-बार करने को लेकर 8 अक्टूबर, 2018 को फिर से स्पष्ट अनुशंषा भेजी गई। लेकिन मजेदार बात देखो अनुशंषा भेजने के 15 दिन बाद भी मुख्य अभियंता शहरी आई.डी.खान की ओर से अभी तक मैसर्स एनसीसी कंपनी को डी-बार करने का आदेश जारी नहीं किया है। ऐसे में अब सवाल उठता है कि मुख्य अभियंता शहरी आई.डी.खान आखिर मैसर्स एनसीसी कंपनी पर इतनी मेहरबानी क्यों दिखा रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं है कि मैसर्स एनसीसी कंपनी को डी-बार करने से बचाने के लिए पूरा मौका दिया जा रहा है, ताकि तब फर्म कानूनी कार्रवाई कर डी-बार करने की कार्रवाई से बच सके।

उल्लेखनीय है कि 31 मार्च, 2018 को मलसीसर स्थित आरडब्ल्यूआर टूटने के बाद जलदाय विभाग प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र के साथ झुंझुनूं जिला कलक्टर और विभाग के तीन मुख्य अभियंताओं की टीम ने मलसीसर आरडब्ल्यूआर स्थल का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान प्रारम्भिक जांच में आरडब्ल्यूआर टूटने के लिए मैसर्स एनसीसी कंपनी और विभागीय इंजीनियर्स को जिम्मेदार ठहराया। प्रमुख शासन सचिव की ओर से विभाग के दो अधिशाषी अभियंताओं को दोषी मानते हुए उन्हें तत्काल सस्पेंड करने के आदेश जारी किए। दूसरी ओर कार्य में गंभीर लापरवाही बरतने वाली कंपनी को नुकसान और आरडब्ल्यूआर टूटने के लिए दोषी मानते हुए उस पर 4 करोड़ 74 लाख रूपए की पैनल्टी वसूलने के साथ ही उसे 3 साल के लिए विभाग से डी-बार करने के आदेश जारी किए थे। विभाग की ओर से दो अधिशाषी अभियंताओं को तो तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करने के आदेश जारी कर दिए गए, लेकिन दूसरी ओर पौने 6 माह निकल जाने के बाद मैसर्स एनसीसी कंपनी से मात्र 1 करोड़ 10 लाख रूपए की वसूली की गई है। इतना ही नहंीं विभाग के अधिकारी कंपनी पर कठोरतम दण्ड के रूप में 3 साल के लिए डी-बार करने की सजा को तो भूल ही गए। 6 माह से ज्यादा का समय निकल जाने के बाद भी विभाग की ओर से मैसर्स एनसीसी कंपनी को डी-बार नहीं करने का मामला जनप्रहरी एक्सप्रेस की ओर से उठाया गया था। अब इसे जलदाय विभाग के इंजीनियर्स की भूल कहें या फिर मेहरबानी, लेकिन विभाग के अधिकारियों के इस कृत्य ने एक बार फिर पूरे विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

LEAVE A REPLY