-राजस्थान लोकायुक्त तथा उप-लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक, 2018 ध्वनिमत से पारित
जयपुर। राज्य विधानसभा ने शुक्रवार को राजस्थान लोकायुक्त तथा उप-लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक, 2018 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इससे पहले गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया।

गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि उत्तरप्रदेश में भी लोकायुक्त के कार्यकाल की अवधि को बढ़ाकर 8 वर्ष किया गया। तब इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई। इस पर उच्चतम न्यायालय ने फैसला दिया था कि यह विधायी नीतिगत मामला है। इसे संकुचित दृष्टि से नहीं देखा जा सकता।
उन्होंने बताया कि वर्ष 1973 में लोकायुक्त के कार्यकाल की अवधि पांच वर्ष तय की गई थी। इसके बाद 1978 में लोकायुक्त के कार्यकाल की अवधि को पांच वर्ष से घटाकर तीन वर्ष कर दिया गया। 1987 में लोकायुक्त के कार्यकाल की अवधि को पुनः 5 वर्ष कर दिया गया। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश ने भी लोकायुक्त का कार्यकाल छह वर्ष किया गया। वहां भी यह प्रावधान किया गया कि जब तक नया लोकायुक्त पद ग्रहण न कर ले, तब तक लोकायुक्त पद पर रहेंगे।

कटारिया ने बताया कि लोकायुक्त के कार्यकाल की अवधि विधि और नियमानुसार बढ़ाई जा रही है। उन्होंने बताया कि लोकायुक्त का मनोनयन मार्च 2013 में पिछली सरकार के कार्यकाल में हुआ था। राज्य के लोकायुक्त ने अपने कार्यों के माध्यम से पूरे देश में विभिन्न लोकायुक्तों के समक्ष मिसाल कायम की है। वर्तमान लोकायुक्त का कार्यकाल विभिन्न महत्वपूर्ण मामले लंबित होने के कारण बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि लोकायुक्त की जो भी रिपोर्ट अब तक पेश हुई है, उसके साथ एक्शन टेकन रिपोर्ट संलग्न की गई है।

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