पटना। 26 जुलाई का दिन बिहार राजनीति के इतिहास में दर्ज हो गया है और इसका कारण है कि वहां नीतीश कुमार ने महागठबंधन तोड़कर भाजपा से हाथ मिला लिया है। 27 जुलाई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इन सारे घटनाक्रम को देखते हुए कई सवाल लोगों के जहन में आ रहे हैं कि आखिर नीतीश ने ऐसा क्यों किया। इस पर नीतीश का कहना है कि उन्होंने लालू प्रसाद यादव के भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर नैतिकता के तौर पर यह महागठबंधन तोड़ा है। मगर जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार पर भी कई मामले चल रहे हैं वह उनके बारे में क्यों नहीं बोल रहे हैं। कहीं लालू का हश्र देखकर उन्हें डर तो नहीं लग रहा कि आने वाले समय में उन पर लगे आरोपों की भी फाईल खुल जाएगी और केन्द्रीय अन्वेषण ब्युरो (सीबीआई) की टीम उन पर अपना शिकंजा कसे। इससे पहले ही उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। शुरुआत तो उन्होंने नोटबंदी के दौरान ही कर दी थी जब पूरा विपक्ष नोटबंदी में मोदी के विरोध में था तो नीतीश कुमार नरेन्द्र मोती का समर्थन कर रहे थे। हालांकि नीतीश के ऊपर लगे आरोपों की फेहरिस्त भी कोई छोटी नहीं है।

लग चुका है हत्या का आरोप
नीतीश कुमार ने लालू यादव और उनके परिवार पर लगे भ्रष्टाचार पर लगे आरोपों के बाद नैतिकता की बात कहते हुए इस्तीफा देने की बात कही। अगर आरोपों की बात करें तो नीतीश कुमार भी कई बड़े मामलों में आरोपी रह चुके हैं। हत्या, आम्र्स एक्ट और साल 2010 में मुख्यमंत्री रहते हुए उनके और उस समय उप-मुख्यमंत्री रहे सुशील मोदी पर धोखाधड़ी से निकासी और भ्रष्टाचार के अनियमितताओं को लेकर 11,412 करोड़ रुपए गबन करने का आरोप लगा था।
साल 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और 45 अन्य लोगों को कल्याणकारी योजनाओं के निष्पादन के लिए जिम्मेदार विभिन्न विभागों में अनियमितताओं में शामिल होने का आरोप लगाया था। इस गंभीर मामले की स्पेशल विजिलेंस कोर्ट में सुनवाई चल रही थी।
शिकायत दर्ज करवाने वाले व्यक्ति ने नीतीश कुमार और सुशील मोदी समेत 45 नेताओं को वेलफेयर स्कीन के पैसे हड़पने का आरोपी बनाया था। मोहन कुमार ने शिकायत में कहा था कि मनरेगा, वाटर रिसोर्स, ह्यूमन रिसोर्स, हेल्थ डिपार्टमेंट, सिंचाई विभाग, रोड डिपार्टमेंट, वित्त विभाग इन सभी विभागों में घोटाले वर्ष 2002 से लेकर 2008 के बीच किए गए थे। घोटाले में मुख्य रुप से चीफ मिनिस्टर रहे नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम रहे सुशील मोदी को आरोपी बनाया गया है।

वहीं आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने भी कल नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद पटना में एक प्रेस कांफ्रेंस करके साल 1991 के नवंबर महीने में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव के दौरान सीताराम सिंह नामक व्यक्ति की हत्या का जिक्र किया, इस हत्याकांड में नीतीश कुमार बतौर अभियुक्त नामजद हैं।
आरजेडी सुप्रीमो ने मीडिया के सामने कुछ दस्तावेज भी दिखाते हुए कहा कि खुद को ईमानदार बताने वाले नीतीश कुमार को पता था कि वह अब इस मामले में घिरने वाले हैं। इसी डर से उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और दोबारा बीजेपी के साथ जाने का मन बना लिया। लालू ने नीतीश पर हमला करते हुए कहा, ‘भ्रष्टाचार से बड़ा अपराध हत्याचार है। लालू ने कहा कि नीतीश ने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान कहा था कि मिट्टी में मिल जाऊंगा मगर भाजपा के साथ नहीं जाऊंगा तथा मोदी ने उन पर तंज कसा था कि नीतीश के डीएनए में कुछ खराबी है। अब यह दोनों अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा के चलते हाथ मिला रहे हैं।

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