नई दिल्ली। एक बेटी जब बरसों बाद अपनी मां से मिलती है तो उसकी आंखों में आंसूओं के साथ एक अजीब सी खुुशी देखने को मिलती है। वहीं इस अनूठे मिलन को देखने वाला भी अपनी आंखों के आंसूओं को रोक नहीं पाता। ४१ बाद कुछ ऐसा ही मां बेटी का मिलन स्वीडन से भारत आई एक महिला के साथ देखने को मिला। जो बचपन में ही स्वीडन निवासी एक दंपत्ति के यहां गोद चली गई थी।

-3 साल की उम्र में चली गई स्वीडन
भारत में जन्मी स्वीडिश नागरिक नीलाक्षी एलिजाबेथ जोरेंडल जब महज तीन साल की थी। उस समय महाराष्ट्र के यवतमाल निवासी एक मां ने अपनी गरीबी के चलते नीलाक्षी को स्वीडन दंपत्ति को गोद दे दिया था। जब नीलाक्षी ने होश संभाला तो उसकी इच्छा उसे जन्म देने वाली मां को एक बार देखने की हुई। 1990 से वह 6 मर्तबा उसकी तलाश में भारत आई। वह बार-बार यह प्रयास करती रही कि बस एक बार उसे अपनी मां की झलक देखने को मिल जाए। इसी को लेकर उसने पुणे की एक स्वयंसेवी संस्था की मदद ली। अपनी मां के बारे में नीलाक्षी को जो भी जानकारी थी उसने वह संस्था के साथ शेयर की।

-अस्पताल में भर्ती मिली
नीलाक्षी से मिली जानकारी के आधार पर संस्था ने उसकी मां को खोज निकाला। नीलाक्षी जब स्वीडन से भारत आई तो उसे उसकी मां यवतमाल के एक अस्पताल में भर्ती मिली। जो गंभीर बीमारियों से ग्रस्त है। संस्था की अंजलि पवार ने बताया कि नीलाक्षी जब अपनी मां से मिली तो बड़ी ही भावुक हो उठी। उसकी आंखों से आंसू बह निकले, जो काफी देर तक थमे ही नहीं।

-मजदूरी कर करते थे जीवन-यापन
नीलाक्षी को जन्म देने वाले माता-पिता किसी दूसरे के खेतों में काम कर जैसे तैसे अपने परिवार का पेट पालते थे। उसके पिता ने तो 1973 में खुदकुशी कर ली थी। उसी साल नीलाक्षी का जन्म पुणे के केडगांव स्थित पं. रामाबाई मुक्ति मिशन में हुआ। बाद में उसकी मां ने नीलाक्षी को मिशन में छोड़ दिया और दूसरी शादी कर ली। वर्ष 1976 में नीलाक्षी को एक स्वीडिश दंपत्ति ने गोद ले लिया।

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