– नोटबंदी का अमानवीय पहलू सामने आया, चिता जलाने के लिए पुराने नोट नहीं चले तो शव घर में रख बैंक लाइन में लगा पति, नए नोट मिलने पर ही पत्नी का शव लेकर श्मशान पहुंचा।

हरियाणा। नोटबंदी के अच्छे और बुरे प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। नोटबंदी से जहां कालेधन पर चोट हो रही है, वहीं इससे जनता को भी खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है। नोटबंदी का एक ऐसा ही अमानवीय पहलू हरियाणा के पानीपत में देखने को मिला है। घर में नए नोट नहीं होने के कारण एक व्यक्ति को अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार करने के लिए पहले बैंक लाइन में लगना पड़ा। राशि मिलने के बाद ही घर में रखे पत्नी के शव को लेकर श्मशान पहुंचा। सबसे दुखद यह रहा कि वह अंतिम संस्?कार के लिए पैसे निकालने बैंक की कतार में घंटों खड़ा रहा। सुबह 10 बजे से कतार में लगने के बाद उसे शाम चार बजे पैसे मिले। यह राशि भी तब मिली, जब स्थानीय नेताओं और मीडिया ने दखल दिया। पूरे मामले में सबसे दुखद पहलू यह है कि उसके तीन बेटों में से किसी ने मां के अंतिम संस्कार के लिए कोई मदद नहीं की। तीनों बेटे नौकरी कर रहे हैं। हुआ यूं कि गुरुवार सुबह राजेंद्र पांडे की 72 वर्षीय पत्नी चंद्रकला की कैंसर से मौत हो गई। अंतिम संस्कार करने के लिए उसके पास नए नोट नहीं थे। ऐसे में वह पत्नी का शव घर में छोड़कर बैंक में जमा राशि निकलवाने के लिए पहुंचा। सुबह दस से दोपहर तीन बजे तक लाइन में लगने के बाद भी उसे पैसे नहीं मिल पाए। जब मामला मीडिया और स्थानीय नेताओं के सामने आया तो उन्होंने वहां पहुंचकर बैंक प्रबंधन से बात करके बैंक में जमा राशि दिलवाई। राजेंद्र ने अपने तीनों बेटों को मां की मौत की सूचना दी थी, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। बैंक में करीब पांच हजार रुपए जमा थे, जिसमें सिर्फ चार हजार रुपए ही मिल पाए। यह राशि मिलने के बाद वह घर गया और पत्नी का शव लेकर श्मशान पहुंचा और उसका अंतिम संस्कार किया।

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