104 वर्षीय मूर्धन्य स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर चौधरी जी का आज महाप्रयाण हुआ। उनका संपूर्ण कर्मयोगी जीवन निर्भीकता, लोक -जागृति, अनुशासन, स्वाभिमान, स्वावलम्बन और गांधीवादी मूल्यों के अनुसरण की प्रेरक मिसाल रहा। वे आजादी के संघर्ष के जीवट सेनानी थे। आजादी उपरांत किसान जागृति के रण के अदम्य साहसी नेतृत्वकर्ता थे और समाज में शिक्षा प्रसार, महिला चेतना, ग्रामीण विकास की दिशा में आजीवन पराक्रमी पथ -प्रदर्शक रहे। उन्होंने 15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि को अपने गांव ‘ बाय ‘ में ‘ आजादी का पौधा ‘ रोपा था, जो आज लहलहाता नीम का वृक्ष है। उनका स्वप्न था कि भारत का लोकतंत्र भी गांव-गांव में वृक्ष की भांति पल्लवित हो, समाज को लाभान्वित करे और सदा हरा -भरा रहे। इस सपने को पूरा करने के लिए वे अपनी 104 वर्ष की आयु में भी लगातार सक्रिय और समर्पित रहे। करीब चार महीने पहले ही दूरदर्शन ने अपने खास कार्यक्रम ‘ आजादी के रंग ‘ के लिए उनका साक्षात्कार लिया था। इस 22 मिनट के वीडियो की शुरूआत में ओजस्वी स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय अचलेश्वर प्रसाद शर्मा ‘ मामा ‘ का जिक्र है और अंतिम दस मिनट में रामेश्वर चौधरी का इंटरव्यू है। इस एपिसोड का शोध, आलेख और स्वर जयपुर के वरिष्ठ पत्रकार अरिंदम मिश्रा का है।
अद्भुत कर्मयोगी चौधरी साहब ने जिस उत्साह और अपनी प्रज्ञा चेतना के साथ यह साक्षात्कार दिया। एक सौ चार वर्ष की आयु में उनकी यह जीवटता, स्मरणशक्ति और सक्रियता आज के दौर में असाधारण उदाहरण है। आज उनके निधन से गांधीजी का एक और समर्पित और सुयोग्य सिपाही इस दुनिया से कूच कर गया।
करीब सात वर्ष पूर्व मैंने एक मासिक पत्रिका के ‘ आजादी विशेषांक ‘ के लिए कुछ आलेख लिखे थे। तब मुझे श्री रामेश्वर चौधरी के साक्षात्कार का अनुपम सौभाग्य मिला था। जयपुर के सिविल लाइन्स स्थित सूरज नगर में उनके बड़े पुत्र वीरेंद्र पूनिया और छोटे पुत्र विनोद पूनिया की मौजूदगी में श्री रामेश्वर चौधरी जी से मैंने करीब डेढ़ घंटे तक बातचीत की। तब वे 97 वर्ष के थे और उनकी ऊर्जा और सक्रियता देखकर मुझे बेहद प्रेरणा मिली।
शेखावाटी अंचल में सत्याग्रह के अनेक प्रतिमानों के रचियता रामेश्वर चौधरी चूंकि प्रजामंडल और प्रजा परिषद के अग्रणी योद्धा थे, जो कि प्रदेश के महान् स्वतंत्रता सेनानी श्री हीरालाल शास्त्री के संयोजन में गांधीजी की राह पर तत्कालीन राजपूताना में स्वतंत्रता संग्राम का झंडा बुलंद किये हुए था। मेरे दादाजी स्वर्गीय रामकृष्ण शर्मा भी शास्त्रीजी के अभिन्न सहयोगी और प्रजामंडल के कार्यकर्ता थे। इसलिए प्रजामंडल की अनेकों कथाएं बचपन से मेरे हृदयाकिंत थी। अतएव रामेश्वर चौधरी के साथ बिताए वे नब्बे मिनट मेरे जीवन की एक प्रेरणादायी स्मृति बन गयी। उन्होंने जिस आत्मीयता और उत्साह के साथ मेरे से बातचीत की। अपने अनेक संस्मरण बहुत प्रसन्नता के साथ साझा किये। उस मुलाकात की स्मृति मेरे भीतर हमेशा एक नयी ऊर्जा की अनुभूति कराती है।
उन्होंने बाय गांव में अपने निवास के बाहर लगे उस नीम के पेड़ का भी जिक्र दूरदर्शन को दिये अपने साक्षात्कार में किया। जो 15 अगस्त 1947 के पहले क्षण पर उन्होंने रोपा था। आजादी मिलने की खुशी में पूरे गांव में दीपावली जैसी रोशनी और उल्लास था, ढोल -नगाड़े गूंज रहे थे, शौर्य और लोक गीत गाये जा रहे थे। शेखावाटी अंचल की लोक संस्कृति का अपना एक अनूठा ओज है। जैसे ही घड़ी में रात्रि के 12 बजे ‘ भारत माता की जय ‘, ‘ वंदेमातरम् ‘, ‘ महात्मा गांधी की जय ‘ के नारों से पूरा गांव गूंज उठा। इन्हीं उल्लासित पलों में रामेश्वर चौधरी जी ने ‘ आजादी का पौधा ‘ अपने घर के बाहर आंगन में रोपा।
रामेश्वर चौधरी जी ने जिस उत्साह और भावना के साथ यह पौधा रोपा था। यह उन संकल्पों और सपनों का भी परिचायक है कि आजादी को लेकर देशवासियों के मन में कितने बड़े अरमान थे। पन्द्रह अगस्त,1947 की यह ऐतिहासिक घड़ी अनगिनत बलिदानों और मुश्किलों के बाद देखने को मिली थी। आजादी मिलने के बाद श्री रामेश्वर चौधरी जी ने सर्वोदय, ग्राम स्वराज्य और किसान सशक्तिकरण के स्वप्न को पूरा करने के लिए स्वयं को जन -सेवा के लिए समर्पित कर दिया। शेखावाटी अंचल में उनके प्रति जनमानस में अदम्य आदर भाव हमेशा बना रहा। अपनी सत्यनिष्ठा, स्पष्टता और सिद्धांतों के लिए वे एक दृढ़प्रतिज्ञ स्तंभ के रूप में सदैव जाने गये। उन्होंने गांधीजी के जीवन -दर्शन से सतत प्रेरणा ली और स्वयं जनमानस के प्रेरक बने। उनकी आचार्य विनोबा भावे, पं. जवाहरलाल नेहरू, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और सरदार पटेल के प्रति भी गहरी श्रद्धा रही।
रामेश्वर चौधरी जी के बड़े पुत्र वीरेंद्र पूनिया राज्य सरकार के वरिष्ठ नागरिक बोर्ड के अध्यक्ष रहे हैं। वहीं, उनके पौत्र अमित पूनिया अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य और राजीव गांधी पंचायत राज संगठन के प्रदेश अध्यक्ष हैं और गांधी दर्शन के प्रति अपने दादा की भांति ही निष्ठावान युवा हैं। प्रेरक कर्मयोगी और सत्याग्रही रामेश्वर चौधरी जी के पुण्य स्मरण समाज को सदा प्रेरणा देते रहेंगे। उन्हें शत -शत नमन।

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