जयपुर। देश हो या राज्य क्रिकेट कहीं भी हो उसकी लोकप्रियता में कहीं कोई कमी नहीं है। लेकिन यह बात भी सच है कि जब से इस खेल में पैसों का आगमन हुआ है तब से यह खेल सिर्फ एक खेल नहीं रह गया है। एक राजनीतिक अखाड़ा बन गया है। जहां रोजाना कई तरह की कुश्तियां देखने को मिलती है। ये बड़ी-बड़ी संस्थाएं जो खेल को चलाती है अपनी जुतम पैजार में खिलाडिय़ों के भविष्य पर संकट खड़ा कर देती है वह क्रिकेट खिलाड़ी समझ ही नहीं पाता कि खेल वह खेल रहा है या यह खेल को संचालित करने वाले खेल रहे हैें। राजस्थान में ऐसा ही हाल है बीसीसीआई ने ललित मोदी के कारण आरसीए पर तीन साल से बैन लगा रखा था जिस कारण आरसीए को कोई फंड जारी नहीं हो पा रहा था जिसका सबसे ज्यादा नुकसान खिलाडिय़ों को उठाना पड़ा।

क्योंकि फंड न होने से आरसीए के टूर्नामेंट नहीं हो पाए जिसमें वे अच्छा प्रदर्शन करके आगे बढ़ सकते थे बल्कि उनके तीन साल खराब हो गए। इसका जिम्मेदार कौन है? ललित मोदी के जाने के बाद आरसीए में और भी ललित मोदी जैसे कई लोग हैं जिन्हें क्रिकेट से और क्रिकेटर्स से कोई मतलब नहीं है उन्हें सिर्फ अपना वर्चस्व चाहिए ताकि फोकट का माल खिलाडिय़ों के नाम पर बीसीसीआई से लेकर अपनी जेब भरी जा सके। इसमें कई सरकारी अफसर, कई पुराने रणजी खिलाड़ी आदि हैं जो राजस्थान में इस खेल को गर्त में ले जा रहे हैं। अभी पिछले दिनों ही जयपुर में आयोजित रजवाड़ा लीग में भयंकर भ्रष्टाचार देखने को मिला। जिसमें सिर्फ पैसा कमाने के लिए एक लीग का आयोजन किया गया तथा राज्य से बाहर के खिलाडिय़ों को खिलाया गया तथा सटोरियों तक को मैच में सट्टा लगाने के लिए आमंत्रित किया गया । हालांकि पुलिस ने छापा मारकर इस भ्रष्टाचार के खेल को रोक लिया। कई गिरफ्तारियां भी हुई। लेकिन उसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अभी तक इस पर कोई और खुलासा नहीं किया गया है। मगर ध्यान देने वाली बात यह है कि ललित मोदी क्या अकेले ही इन सब के लिए दोषी है जब तक आरसीए में संविधान को दुरुस्त कर खिलाडिय़ों पर ज्यादा फोकस नहीं किया जाएगा। तब तक राजस्थान से खिलाड़ी नहीं निकल सकेगा। देश के हर कोने से खिलाड़ी निकल कर भारत की टीम में खेल रहे हैं मगर राजस्थान से ऐसा कोई खिलाड़ी नजर नहीं आता जो भारत की टीम का प्रतिनिधित्व कर सके कारण साफ हैं यहां इस खेल को सुधारने का और खिलाडिय़ों को अच्छी प्रैक्टिस का, अच्छे कोचों का और ज्यादा से ज्यादा टूर्नामेंट आयोजित करने कोई ढांचा ही नहीं है तो खिलाड़ी निकलेंगे कहां से। लगता नहीं है ललित मोदी के जाने के बाद राजस्थान की क्रिकेट में कोई ज्यादा फेरबदल होगा।

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