Negotiable-written-amendment-bill-2017

नयी दिल्ली : लोकसभा में आज परक्राम्य लिखित संशोधन विधेयक 2017 पेश किया गया। इसमें ऐसे प्रावधान किये गए है जिससे चेक की विश्वसनीयता सुदृढ़ होगी और बैंकों समेत उधार देने वाली संस्थाओं को अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को वित्त पोषण करना जारी रखने की अनुज्ञा देकर व्यापार और वाणिज्य में सहायता मिलेगी । सदन में वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने इस विधेयक को पेश किया जिसमें परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 का और संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि चेक अनादर मामलों के अंतिम समाधान में काफी विलंब के मुद्दे को हल करने की दृष्टि से उक्त अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है । इसका मकसद चेक प्राप्त करने वालों को राहत प्रदान करना और अनावश्यक मुकदमेबाजी को हतोत्साहित करना है। इससे समय और धन की बचत होगी । प्रस्तावित संशोधनों से चेक की विश्वसनीयता सुदृढ़ होगी और बैंकों समेत उधार देने वाली संस्थाओं को अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को वित्त पोषण करना जारी रखने की अनुज्ञा देकर व्यापार और वाणिज्य में सहायता मिलेगी ।

इसके माध्यम से उक्त अधिनियम में एक नई धारा 143 क को उपबंध करने को अंत:स्थापित करना है । इसके साथ ही उक्त अधिनियम में एक नई धारा 148 को भी अंत: स्थापित करना है। इसमें धारा 138 के अधीन किसी अपराध का विचारण करने वाला न्यायालय चेक के लेखीवाल को शिकायतकार्ता को अंतरिम मुआवजा देने का आदेश दे सकता है । इस प्रकार अंतरिम प्रतिकर ऐसी राशि होगी जो चेक की रकम के बीस प्रतिशत से अधिक नहीं होगी ।

इसमें लेखीवाल द्वारा दोषसिद्धि के विरूद्ध अपील न्यायालय, अपीलार्थी को ऐसी रकम जमा करने का आदेश दे सकेगा जो विचार न्यायालय द्वारा अधिनिर्णीत जुर्माने या प्रतिकर के न्यूनतम 20 प्रतिशत होगी । इसमें कहा गया है कि चेक अनादर के मामले लंबित रहने से ऐसे चेक पाने वालों के साथ अन्याय होता है और चेक का मूल्य वसूलने के लिये न्यायालय की कार्यवाहियों में अत्यधिक समय और साधन गंवाने पड़ते हैं ।

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