रियो 2016 पैरालंपिक में भारत ने अपने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले हैं। भारत ने 1968 से पैरालंपिक खेलों में हिस्सा लेना शुरू किया और पहली बार उसे दो गोल्ड सहित चार मेडल मिले हैं। भारतीय दल दो गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज सहित कुल चार मेडल जीतकर 43वें स्थान पर रहा। मरियप्पन थांगवेलु ने रियो पैरालंपिक खेलों में पुरूषों की टी42 उंची कूद स्पधाज़् में गोल्ड, वरूण भाटी ने इसी स्पधाज़् में ब्रॉन्ज मेडल जीता। 45 साल की दीपा मलिक ने महिलाओं की एफ53 गोलाफेंक स्पर्धा में सिल्वर मेडल जीता। भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर देवेंद्र झाझरिया ने पुरूष एफ46 भाला फेंक स्पर्धा में गोल्ड मेडल अपने नाम किया है। 48 सालों के इतिहास में भारत ने पैरालंपिक खेलों में अब तक 12 मेडल मिले हैं। भारत को पहला गोल्ड और मेडल तैराक मुरलीकांत पेटकर ने 1972 जर्मनी पैरालंपिक में दिलाया था। इसके बाद न्यूयॉर्क पैरालंपिक खेलों (1984) में दो सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल सहित चार मेडल हासिल हुए। एथेंस पैरालंपिक (2004) में भारत को एक गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल मिला जबकि लंदन ओलंपिक (2012) में गिरिशा नागराजगौड़ा ने सिल्वर मेडल जीता।
पदकतालिका में चीन शीर्ष पर
11 दिनों तक चले इस खेलों के महाकुंभ में चीन ने 100 से अधिक गोल्ड मेडल जीतकर पदक तालिका में शीर्ष स्थान हासिल किया। चीन ने 107 गोल्ड, 81 सिल्वर और 51 ब्रॉन्ज सहित कुल 239 मेडल जीते। वह इन खेलों के इतिहास में 100 या उससे अधिक गोल्ड पदक जीतने वाला तीसरा देश बना। इससे पहले यह रिकॉर्ड अमेरिका और ब्रिटेन के नाम था। ब्रिटेन 64 गोल्ड, 39 सिल्वर और 44 ब्रॉन्ज सहित कुल 147 मेडल जीतकर दूसरे नंबर पर रहा। पदकतालिका में यूक्रेन आश्चर्यजनक रूप से अमेरिका को पछाड़कर तीसरे नंबर पर रहा। उसने 41 गोल्ड, 37 सिल्वर, 39 ब्रॉन्ज सहित कुल 117 मेडल जीते। अमेरिका ने 115 मेडल के साथ चौथा स्थान हासिल किया। रियो पैरालंपिक खेलों के समापन समारोह में ईरान के साइकिलिस्ट बहमान गोल्बर्नेजहद को नम आंखों से याद किया गया और एक मिनट का मौन रखा गया। रियो पैरालंपिक में पुरुषों की साइकिल सी 4-5 रोड रेस के दौरान उनकी मौत हो गई थी।

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