labour law

जयपुर. राज्य सरकार ने मंत्रियों व विधायकों के वेतन भत्ते 10 मिनट में बढा दिये जबकि राजस्थान सरकार के अधीन कार्यरत लाखों कर्मचारी 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करवाने के लिए गत 8 माह से सडकों पर है। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ सरकार के इस कवायद से स्तब्ध रह गया है।
महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष आयुदान सिंह कविया ने सरकार की नीति का विरोध करते हुए कहा कि राजस्थान सरकार कर्मचारियों की मांगो के निराकरण में आना-कानी कर रही है जबकि सरकार में बैठे राजनेताओं के वेतन भत्ते बढाकर अपनी कर्मचारी विरोधी मानसिकता का परिचय दे दिया है। प्रदेश में कई बोर्ड, निगम एवं स्वायत्तशाषी संस्थाओं में कार्यरत कर्मचारियों को पेंशन के परिलाभ नहीं दिये जा रहे है जो 60 वर्ष की उम्र तक राज्य सेवा कर रहे है जबकि विधायकों को 5 वर्ष के कार्यकाल में ही पेंशन के पूर्ण परिलाभ दिये जा रहे है। साथ ही वर्ष 2004 के उपरान्त भर्ती राज्य कर्मचारियों को अंशदायी पेंशन योजना के अन्तर्गत रखा गया है। सरकार राजनेताओं को खुश करने में लगी हुयी है एवं कर्मचारी अपनी जायज मांगो के लिए संघर्ष कर रहा है। प्रदेश के नागरिकों की गाढी कमाई की बंदर बांट कर रही है। महासंघ सरकार की नीति का विरोध करता है। राज्य सरकार के मंत्री एवं विधायक भी लोक सेवक की श्रेणी मंे आते है एवं कर्मचारी भी लोक सेवक है परन्तु वर्ग विशेष को लाभान्वित करना भारतीय संविधान द्वारा प्रतिपादित मौलिक अधिकारों के विरूद्ध है।

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