जयपुर। गोविन्द देव मन्दिर के प्रांगण में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के छठेे दिन गोविन्द के दरबार में महारास का व रूकमणी विवाह का भी आयोजन किया गया. जिसमें गोपी के स्वरूप में अपने अराध्य भगवान कृष्ण के साथ महारास कियां मधुर भजन की ध्वनि पर भक्तो गरबा नृत्य कर अपने इष्ठ गोविन्द को रिझाया।

इस मौके पर भगवान कृष्ण की बरात आई, तोरण दिया और रूकमणी के विवाह में भक्तो ने कन्यादान कर पुण्य कमाया। महारास के महात्मा पर प्रकाष डालते हुए भगवत कथा वाचक स्वामी प्रज्ञानानन्द जी ने कहा कि यह महारास गोपियो के साथ भगवान कृष्ण ने छह माह तक किया। चन्द्रमा ठहर गया था जब ब्रह्मा ने कृष्ण पर पराई स्त्रियो के साथ नृत्य की बात कही तो नन्द नन्दन सभी गोपिया को कृष्ण का स्वरूप दे दिया और कहा कि यह सब गोपिया मेरा ही आत्मा रूप है। स्वामी प्रज्ञानानन्द जी ने कहा की जहां अभिमान का वास हो जाता है। वहां भगवान निवास नही करते है। उन्होने गोपियो के विरह का वैदिक महत्व समझाते हुए कहा की ज्ञान मार्ग में जहां साधक का परम लक्ष्य सिद्वी है वही भक्ति मार्ग में प्रेम की पराकाष्ठ ही सर्वोच्च है। उन्होने प्रेम मार्ग की तीसरी अवस्था मदयता का वर्णन करते हुए कहा कि जब भक्त के मन में गोपियो की तरह यह भाव जाग जाता है कि ’’बंषी वारो संावरी प्रभु मेरा है। जब भक्त अपने अराध्य पर अधिकार समझने लगता है। तब यह भाव पैदा होता हे। गोपियो के विरह की वैदना का वर्णन करते हुए गोपिकाओ ने जब कहा की उन्होने प्रेम का रोग लगा कर हमे विरह को जलाने के लिए छोड दिया। तब प्राणी मात्र के हद्वय में निवास करने वाले सनातन नारायण प्रकट हो गए।

हर भक्त का हद्वय ही वृदांवन है। उसके अतंकरण में भक्ति की लौ जगने पर कृष्ण प्रकट हो जाते है। स्वामी प्रज्ञानानन्द जी ने कहा कि भागवत की कथा तमाम संासारिक तापो से मुक्ति दिलाती है। उन्होने कहा की भगवान हर समय वृंदावन में वास करते है। आत्मा व परमात्मा के मिलन में अहंकार बाधा है। इस अवसर पर पूर्व मंत्री सत्यनारायण गुप्ता, हाथोज के बालमुकान्दाचार्य जी महाराज करोली के गोवर्धन दास जी महाराज व एसीपी हेडक्वाटर कमिष्नरेट-जिज्ञासा राजेष्वरी का शरद खण्डेलवाल व पूर्व मेयर ज्योति खण्डेलवाल ने दुपट्टा पहना कर समान किया।
बुधवार को भागवत महायज्ञ के अखिरी दिन सुदामा चरित्र व परीक्षित मोक्ष कथा पर प्रवचन दिये।

LEAVE A REPLY