– मौसम को फि र मिल गए रंग-रंग के फूल
देख, शिशिर के शीश पर फागुन डाले धूल
-घोषित करता रह गया मौसम रेड अलर्ट
पेड़-पेड़ को छेड़ती हवा निगोड़ी फ्लर्ट
-चिडिय़ा के दो बोल हैं वेणी के दो फू ल
कहाँ छुपा रख दूँ इन्हें हो न सकें जो धूल

  • मदहोशी में छेड़ते भँवरे कैसी तान
    सपने में भी सुन रहे मंजरियों के कान

फ ागुन आया झूम के ऋतु वसंत के साथ
तन-मन हर्षित होंगे, मोदक दोनों हाथ

आने का संदेश जब, लेकर चला वसंत
गाल गुलाबी हो गए, हो गई पलकें बंद।

पिघले सोने-सा हुआ, दोपहरी का रंग
और सुहागे-सा बना, नूतन प्रणय प्रसंग।

अंग-अंग में उठ रही मीठी-मीठी आस
टूटेगा अब आज तो तन-मन का उपवास

इंद्र धनुष के रंग में रंगूँ पिया मैं आज
संग तुम्हारे नाचूँ, हो बेसुध बे साज

तितली जैसी मैं उडूँ चढ़ा फ ाग का रंग
गत आगत विस्मृत हुई, चढ़ी नेह की भंग

LEAVE A REPLY