जयपुर। मुगल शासक अकबर और मेवाड के महाराणा प्रताप के बीच करीब सवा चार सौ साल पहले हुए हल्दीघाटी के युद्ध का इतिहास फिर से जीवंत होगा। यह लड़ाई इतिहास में इसलिए विवादों में रही कि तब मुगल शासकों ने इसे अपनी जीत बताई। तब लेखकों ने ऐसा ही कुछ इतिहास में चित्रण किया, लेकिन राजस्थान समेत देश की जुबान पर यह लड़ाई महाराणा प्रताप की वीरता और शौर्य के तौर पर जानी जाती रही है। बहुत से इतिहासकारों ने इस लड़ाई को मुगल शासक अकबर की जीत बताते रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने इस लड़ाई के बारे में कहा कि ना तो प्रताप की हार हुई और ना ही अकबर की जीत। यह लड़ाई बिना किसी नतीजे के रही। ना तो प्रताप ने मुगलों की अधीनता स्वीकारी और ना ही मुगल प्रताप को पकड या जीत पाए। इतिहास में कुछ इस तरह के विवादों को देखते हुए राजस्थान और भारत सरकार भी हल्दीघाटी युद्ध का इतिहास फिर से जीवंत करेंगे। तत्कालीन इतिहासकारों, युद्ध विवरण और इतिहास सामग्री के साथ पूरी निष्पक्षता के साथ इतिहास सामने लाया जाएगा, ताकि वास्तविक सच्चाई सामने आ सके। इस युद्ध में प्रताप और मानसिंह के नेतृत्व वाली अकबर की विशाल सेना का आमना-सामना हुआ था। 1576 में हुए इस भीषण युद्ध में हजारों सैनिकों की मौत हुई थी दोनों ही पक्षों की। लेकिन नतीजा सामने नहीं आ सका था कि कौन जीता और कौन हारा था। किताबों और इतिहास में अधिकांश जगहों पर मुगल शासक अकबर को ही विजेता के तौर पर दिखाया गया है, जबकि राजपूताना का इतिहास इसे प्रताप की जीत बताता रहा। जनभावनाएं भी प्रताप के शौर्य का गुणगान करती रही। राजस्थान सरकार इस लड़ाई औरक इतिहास की वास्तविकता सामने लाना चाहती है, ताकि सही इतिहास सामने आ सके। इस संबंध में प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है। राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति राजेश्वर सिंह ने इस प्रस्ताव को हिस्ट्री बोर्ड ऑफ स्टडीज के पास भेज दिया है।

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