कराची। पाकिस्तान में हिन्दू विवाह विधेयक को मंजूरी मिल गई है। पाक प्रेसीडेंट ममनून हुसैन ने हिन्दू अल्पसंख्यकों की शादियों को कानूनी मान्यता देने के लिए संसद से पारित हिन्दू मैरिज बिल को मंजूरी दे दी है। यह बिल अब कानून बन गया है। 70 साल से हिन्दू समेत अन्य अल्पसंख्यक समाज विवाह को कानूनी मान्यता की मांग कर रहा था। अब तक उन्हें विवाह संबंधी मान्यता नहीं थी, जिसके चलते उन्हें कई तरह परेशानी आ रही थी, साथ ही विवाहित महिलाओं से जबरन धर्म परिवर्तन करवाकर निकाह करने के मामले तेजी से बढ़ रहे थे। विवाह संबंधी कानूनी दर्जा नहीं होने के कारण पीडित पक्ष पुलिस और कोर्ट में विवाह होने के दस्तावेज पेश नहीं कर पाते थे। जिसके चलते वे विवाहिता पत्नी को छुड़ा नहीं पाते थे। पाकिस्तान में कई संगठन हिन्दू व दूसरे अल्पसंख्यक समाज की महिलाओं के साथ जबरन निकाह करने में लिप्त रहे हैं। इसी के चलते अल्पसंख्यक समाज कई दशक से विवाह को कानूनी दर्जा देने की मांग कर रहा था। नवाज शरीफ सरकार ने इस बिल को मंजूरी दी है। बिल को मंजूरी मिलते ही यह कानून बन गया है। अब पंजाब, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में यह कानून लागू हो जाएगा। सिंध प्रांत में पहले ही हिंदू विवाह अधिनियम लागू कर चुका है। शादी के लिए हिंदू जोड़े की न्यूनतम उम्र 18 साल रखी गई है। वर्तमान में पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी करीब दो फीसदी है, जबकि भारत-पाक विभाजन के दौरान वहां 22 फीसदी हिन्दु थे, जो अब घटकर मात्र दो फीसदी ही रह गए हैं। बलात धर्म-परिवर्तन के चलते हिन्दू आबादी तेजी से घटी है। अभी भी हिन्दू, ईसाई व दूसरे अल्पसंख्यक समाज को बलात धर्म परिवर्तन करवाकर मुस्लिम धर्म अपनाने को मजबूर किया जा रहा है।

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