जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि गुरू तेग बहादुर जी का बलिदान केवल धर्म पालन के लिए ही नहीं अपितु समस्त मानवीय सांस्कृतिक विरासत की खातिर बलिदान था। उन्होंने कहा कि दिल्ली का शीशगंज गुरूद्वारा साहिब आज भी हमें याद दिलाता है कि चाहे अधर्म कितना भी बढ़ जाए, सत्ता अपने आप को कितना भी मजबूत समझे लेकिन यदि वो गलत है तो उसके सामने कभी नहीं झुकना चाहिए।
गहलोत गुरूवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित गुरू तेग बहादुर जी की 400वीं जन्म शताब्दी उच्च स्तरीय समिति की पहली बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि गुरू तेग बहादुर जी ने हमारी संस्कृति की महान परंपरा का निर्वहन करते हुए अपनी शहादत दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरू तेग बहादुर जी की 400वीं जन्म शताब्दी जैसे अवसर हमें महापुरूषों के कृतित्व एवं व्यक्तित्व को नई पीढ़ी तक पहुंचाने की जिम्मेदारी का अहसास कराते हैं। गुरू तेग बहादुर जी ने लोगों को प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश दिया। देश और दुनिया में आज जो चुनौतियां हमारे सामने हैं, उनका मुकाबला हम शांति, सद्भाव और समरसता के माध्यम से ही कर सकते हैं।
गहलोत ने बैठक के दौरान प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि विभिन्न मांगों को लेकर देशभर में लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलनों का इस पुनीत अवसर पर कोई सार्थक हल निकाला जाए। मुख्यमंत्री ने बैठक में सुझाव दिया कि गुरू तेग बहादुर जी के 400वीं जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में वर्षभर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से आयोजित करने के लिए समितियों का गठन किया जाए। ये समितियां कोविड-19 के दृष्टिगत कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक आयोजन सुनिश्चित करें।
बैठक में समिति के सदस्यों ने वर्षभर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों को लेकर अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला, प्रमुख शासन सचिव वित्त अखिल अरोरा तथा शासन सचिव कला एवं संस्कृति मुग्धा सिन्हा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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