नयी दिल्ली। सरकार निचली अदालतों का प्रबंधन देखने के लिए राज्यों में अधिकारियों का एक अलग कैडर बनाने की योजना बना रही है ताकि न्यायाधीश न्यायिक कामकाज पर ध्यान दे सकें और रोजाना के प्रशासनिक कामकाज में नहीं उलझें। केंद्र सरकार को लगता है कि अदालत के प्रशासन और वित्तीय कामकाज के प्रबंधन में न्यायाधीशों की मदद के लिए अदालती प्रबंधक रखने की पिछली योजना कारगर नहीं रही।
तेरहवें वित्त आयोग ने अदालतों के प्रबंधकों की नियुक्ति के लिए निचली अदालतों के लिहाज से 2010 से 2015 के बीच 300 करोड़ रुपये का आवंटन किया था। उन्हें अदालत के प्रशासनिक कामकाज में न्यायाधीशों की सहायता का काम सौंपा गया था। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सभी उच्च न्यायालयों को मुख्य न्यायाधीशों को लिखे पत्र में कहा, ‘‘हालांकि इसके अपेक्षित परिणाम नहीं मिले। स्वीकृत राशि का केवल एक-तिहाई हिस्सा जारी किया गया और केवल सातवें हिस्से का इस्तेमाल किया गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उचित उम्मीदवारों को आकर्षित नहीं कर पाने के कुछ कारणों में संविदा आधार पर भर्ती, कम पारिश्रमिक पैकेज और अदालती प्रबंधकों को न्यायिक प्रक्रिया में शामिल कर पाने में न्यायपालिका की अनिच्छा रही।’’