जयपुर। गुजरात में राज्यसभा के लिए उपचुनाव में अमित शाह और स्मृति ईरानी की जहां जीत पक्की मानी जा रही थी। वहीं अहमद पटेल जिस सीट से चुनाव लड़ रहे थे उस पर सारे देश की नजर थी और भाजपा ने भी उन्हें हराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। अपना पुरा लवाजमा इस सीट को जीतने में लगा दिया। क्योंकि भाजपा इस सीट को जीत कर एक तीर से दो निशाने लगाने की फिराक में थी। एक तो चुनाव जीतने से वह इस सीट पर अपना कब्जा कर लेगी। दूसरा यह की अहमद पटेल सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार हैं तो सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी के लिए यह जर्बदस्त झटका हो सकता था। मगर दूसरी तरफ गहलोत कुछ और ही सोचकर चुनाव मैदान में अपने मोहरे चल रहे थे। जो चुनाव के नतीजों ने जाहिर कर दिया। हालांकि कांग्रेस जितने वोट का दावा कर रही थी उतने तो नहीं मिले मगर वह अपनी साख बचाने में कामयाब रही है।

यह मुकाबला अमित शाह और गहलोत के राजनीतिक कौशल का भी था जिसमें अशोक गहलोत ने बाजी मारी। जहां अमित शाह के पास सरकार की सारी ताकत थी तो वहीं गहलोत के पास सहयोग के लिए कुछ नहीं था उन्हें सिर्फ अपनी बुद्धि के बल पर ही सफलता मिल सकती थी जो उन्होंने करके दिखाया। इससे उन्होंने दिखा दिया है कि वे सिर्फ एक राज्य तक ही सिमटने वाले नेता नहीं है अगर मौका मिले तो वे देश की राजनीति में भी कांग्रेस पार्टी के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। क्योंकि उन्होंने राजनीतिक कौशल के उदाहरण समय-समय पर राजस्थान में भी दिए हैं जिसे यहां के लोग अच्छी तरह से जानते हैं। कुल मिलाकर यही कहा जाएगा की इन चुनावों में अहमद पटेल और गहलोत की जोड़ी ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी है।

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