जयपुर। सीकर में चल रहा किसान आन्दोलन की आग अब पूरे प्रदेश में फैलने लगी है। मगर प्रशासन ने अभी तक इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया है। किसान लगातार अपनी मांगों को लेकर आन्दोलन कर रहे हैं और सरकार से मांग कर रहे हैं कि उनकी मांगे पूरी की जाए मगर सरकार की बेरूखी ने उनको हताश कर दिया है जिससे आन्दोलन और भी तेज हो गया है जिससे फिलहाल सीकर जिले में जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। किसानों के कर्ज माफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू कराने सहित 11 सूत्री मांगों को लेकर राजस्थान के सीकर में किसानों का महापड़ाव बुधवार 13वें दिन भी जारी रहा और अब भी जारी है। वहीं चक्का जाम का बुधवार को तीसरा दिन है।

चक्का जाम के कारण पूरा सीकर जिला जाम हो गया है। शहर में आना और जाना सब पूरी तरह से बंद है। केवल पैदल आने के अलावा कोई साधन नहीं है। हजारों की संख्या में किसान कृषि मंडी में सीकर-जयपुर मार्ग पर डेरा डाले हुए हैं। किसान पूरे जिले में करीबन 150 से अधिक स्थानों पर जाम लगाए बैठे हैं, जिसमें काफी संख्या में महिलाएं भी शामिल है। वहीं सरकार से किसानों का प्रतिनिधि मंडल पूर्व विधायक अमराराम के नेतृव में बुधवार दोपहर एक बजे दूसरे दौर की वार्ता करेगा। इसके बाद ही आंदोलन की आगे की रणनीति तय होगी। इधर, चक्का जाम के चलते आमजन को परेशानी होना शुरू हो गई है, अधिकांश संगठन किसानों के आंदोलन के समर्थन में है। दूध-सब्जी की किल्लत से इनके भाव दोगुने हो गए हैं। सीकर शहर में दूध 80 रुपए किलो बिक रहा है तो सब्जी के भाव दोगुने हो गए हैं। करीबन तीन हजार आॅटो के पहिए थमे रहे। सीकर शहर की सात सौ से अधिक मिनी व सीटी बस के पहिए थमे हुए हैं। सरकारी दफ्तरों में कर्मचारी-अधिकारियों की संख्या कम है। रोजाना अप-डाउन करने वाले लोग दफ्तरों में नहीं पहुंच पा रहे हैं।

इस आंदोलन से करीबन चालीस से पचास करोड़ का व्यापार प्रभावित हो रहा है। वहीं चक्का जाम के चलते भारी पुलिस बल भी तैनात है। सीकर शहर सहित जिले में रींगस, श्रीमाधोपुर, खाटूश्याहमजी, नीमका थाना, दातारामगढ़, लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर, नेछवा, लोसल, कटराथल, बाजौर, खंडेला, अजीतगढ़ और तमाम इलाकों में किसान महिलाओं के साथ चक्का जाम किए हुए हैं।

 

 

LEAVE A REPLY