जयपुर. उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद जगदीप धनखड़ पहली बार जयपुर दौरे पर आए। इस दौरान उन्होंने मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के साथ की यादें ताजा कीं। धनखड़ ने कहा मेरा सौभाग्य था कि वर्ष 1990 में मैंने वाजपेयी के साथ यूरोप में 15 दिन बिताए। मैं भारतीय संसदीय डेलिगेशन में था, उसमें वाजपेयी भी थे। वो यादें हमेशा रहेंगी। धनखड़ जयपुर के निजी अस्पताल में गुरुवार को बीमार परिजन से मिलने आए थे। इसके बाद धनखड़ ने अपने भाई रणदीप धनखड़ के घर लंच किया। फिर विश्व हिंदू परिषद के नेता से भी मुलाकात की। बाद में धनखड़ सड़क रास्ते से दिल्ली रवाना हो गए। जगदीप धनखड़ ने इस्तीफे के बाद जयपुर में किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया। हालांकि पिछले दिनों धनखड़ झुंझुनूं जिले में एक कार्यक्रम में आए थे, लेकिन उन्होंने इस्तीफे को लेकर कुछ नहीं कहा। धनखड़ के इस्तीफे के कारणों को लेकर खूब सियासी बयानबाजी हुई थी, लेकिन उन्होंने खुद कोई बयान नहीं दिया। जगदीप धनखड़ इस्तीफे के बाद पहली बार भोपाल में किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में बोले थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. मनमोहन वैद्य की पुस्तक ‘हम और यह विश्व’ के विमोचन कार्यक्रम में धनखड़ ने कहा था कि भगवान करे कोई नरेटिव के चक्कर में न फंसे। क्योंकि जो लोग समझना ही नहीं चाहते। वे हर हाल में बात को गलत नरेटिव में ढाल देंगे। धनखड़ ने कहा था- समय की वजह से मेरा पूरा गला खुल नहीं पाया। पुरानी बात है और बड़ी मुश्किल है। जो सोया हुआ है, उसे जगा सकते हैं, पर जो जागकर भी सोया हुआ है, उसे नहीं जगा सकते। बल प्रयोग भले कर लो। जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद से कांग्रेस लगातार बीजेपी पर हमलावर रही। पूर्व सीएम अशोक गहलोत, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली सहित कई कांग्रेस नेता धनखड़ के इस्तीफे के कारणों को लेकर अब भी कई बार तंज कसते हुए बयान देते रहते हैं।

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